सामजिक पूंजी -यह समाजशास्त्र में विकसित की गयी एक नवीन अवधारणा है जिसके अनुसार सामजिक सम्बन्ध भी उत्पादकता को बढाते है जैसे कालेज शिक्षा और नवाचार किसी की उत्पादकता बढ़ा देते है वैसे ही अनेक समूहों की सदस्यता और संपर्क भी उसकी उत्पादकता को बढ़ा देते है, यही कारण है की समाज में आज सामाजिक नेटवर्किंग का इतना महत्त्व बढ़ गया है, ऑरकुट जैसे वेबसाइट के प्रचार के पीछे यह एक महत्वपूर्ण कारण है।

सामाजिक पूंजी का तात्पर्य उन संबंधों, मूल्य मान्यताओं, और नेटवर्क्स से है जो किसी समाज या समुदाय में एकता, सहयोग और सहयोग को बढ़ावा देते हैं। सामाजिक पूंजी में विश्वास, मानदंड, और आपसी संबंध आते हैं जो लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ते हैं और उनके बीच के संबंधों को मजबूत करते हैं। यह आर्थिक पूंजी या भौतिक संसाधनों की तरह नहीं होती, बल्कि यह किसी समाज में सदस्यों के बीच आपसी संबंधों और सामूहिक सहयोग की भावना पर आधारित होती है।

सामाजिक पूंजी के मुख्य घटक

संपादित करें
  1. नेटवर्क्स: समाज के सदस्यों के बीच जुड़े हुए नेटवर्क्स जो सहयोग, संचार, और विश्वास का निर्माण करते हैं।
  2. विश्वास: सामाजिक पूंजी का मुख्य आधार विश्वास है। जब लोग एक-दूसरे पर विश्वास करते हैं, तो वे आसानी से सहयोग कर सकते हैं।
  3. साझा मूल्य और मानदंड: ये मानदंड समाज के लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने और एक समान व्यवहार करने के लिए प्रेरित करते हैं।


सामाजिक पूंजी किसी भी समाज की समृद्धि और स्थिरता के लिए आवश्यक होती है। यह केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज की भलाई और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण है।