सामूहिक अवचेतन
युंग ने अवचेतन मन के दो हिस्से बताये व्यक्तिक और सामूहिक। किसी भी प्रजाति के मिथक, प्रतीक, सामूहिक आस्थाएं, कर्मकांड आदि व्यक्ति के सामूहिक अवचेतन मन में हीं संचित रहते हैं। इसी का गंभीर तल है प्रजातिए अवचेतन जिसमें प्रजातिये धरोहर संकलित होती है। इसमें अनेक तहें होती है। जैसे पशु जीवन, आदि मानव, प्रजाति समूह, राष्ट्र, कुल, परिवार आदि। इस प्रकार प्रजातिय स्मृति निर्मित होती है जो परंपरा का रूप धारण कर लेती है।
आदि काल में मानव जाति पहादो में रह्ते थे, वही पर जीवन बिताते थे। जानवरो को मार कर कच्चा मान्स खाते थे।