आव्यूह सिद्धान्त में, सारस का नियम 3×3 आव्यूह के सारणिक की गणना हेतु एक स्मृतिवर्धक है जिसका नाम फ्रांसीसी गणितज्ञ प्यैर फ्रेदेरिक सारस के नाम पर रखा गया है। [1]

सारस का नियम : बाएँ तीन स्तम्भों का सारणिक ऊपर-दक्षिण विकर्णों के गुणनफलों का योग घटाकर निम्न-दक्षिण विकर्णों के गुणनफलों का योग है।

एक 3×3 आव्यूह पर विचार करें

तो इसके सारणिक की गणना निम्नोक्त योजना द्वारा की जा सकती है।

तृतीय स्तम्भ के दाईं ओर आव्यूह के प्रथम दो स्तम्भ लिखकर एक पंक्ति में पांच स्तम्भ दें। फिर ऊपर से नीचे (ठोस) जाने वाले विकर्णों के गुणनफल को जोड़ें और नीचे से ऊपर (विच्छिन्न) जाने वाले विकर्णों के गुणनफल को घटाएँ। इससे निम्नोक्त परिणाम मिलता है: [1]

वैकल्पिक ऊर्ध्वाधर व्यवस्था

विकर्णों पर आधारित एक समान योजना पर कार्य करती 2×2 आव्यूह: [1]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Fischer, Gerd (1985). Analytische Geometrie (जर्मन में) (4th संस्करण). Wiesbaden: Vieweg. पृ॰ 145. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 3-528-37235-4.