सिटी पैलैस परिसर अलवर के पूर्वी छोर की शान है। इसके पर अरावली की पहाडियां है और इन पहाडियों पर बाल किला बना हुआ है। किले की दीवार पूरी पहाडी पर फैली हुई है जो हरे-भरे मैदानों से गुजरती है। पूरे अलवर शहर में यह सबसे पुरानी इमारत है। यह लगभग 928 ई में निकुम्भ राजपूतों द्वारा बनाई गई थी। अब इस किले में देखने लायक कुछ नहीं बचा है। इसके दरार हॉल में अब अलवर पुलिस का वायरलैस केन्द्र है। अन्‍तर्राज्‍यीय बस अड्डे से यहां तक आना एक सुखद अनुभव है। पूरा सडक मार्ग अच्छे से बना हुआ है। इसके दोनों तरफ छायादार पेड लगे हुए हैं। रास्ते में पत्थरों की बनी दीवारें दिखाई देती हैं जो बहुत ही सुन्दर हैं। किले में जयपोल के रास्ते प्रवेश किया जा सकता है। यह सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। कर्णी माता के मंदिर का रास्ता यहीं से होकर जाता है और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यह मंगलवार और शनिवार की रात को 9 बजे तक खुला रहता है। किले में प्रवेश करने के लिए आ पुलिस सुपरिटेण्डेन्ट की अनुमति की आवश्यकता नहीं पडती। पर्यटकों को केवल संतरी के पास रखे रजिस्टर में अपना नाम लिखना होता है। इसके बाद वह किले में घूम सकते हैं। आपातकाल के समय आप पर्यटक सुपरिटेण्डेन्ट के कार्यालय में फोन कर सकते हैं।

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