सिल्हदी
राजा शिलदित्य तोमर अथवा सिलहदी तोमर (निधन 6 मई 1532[1]) भारत के 16वीं सदी के शुरूआती दशकों में उत्तरपूर्वी मालवा के सेनापति थे। वो मेवाड़ के सांगा के जागीरदार बन गए और सहयोगी के रूप में रहे और सांगा ने उन्हें और मेदिनी राय को विभिन्न युद्धों में और सुल्तानों से मालवा को जीतने में मदद की।[2]
रायसीना के सिल्हदी तंवर ने नागौर के खानजादा के साथ मिलकर खानवा के युद्ध में राणा सांगा से विश्वास घात किया तथा बाबर की सेना में शामिल हो गया। जो सांगा की पराजय का एक प्रमुख कारण था।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Dirk H. A. Kolff 1990, पृ॰ 85.
- ↑ Chaurasia 2002, पृ॰प॰ 155-156.
सन्दर्भ ग्रंथ
संपादित करें- Chaurasia, Radhey Shyam (2002). History of Medieval India: From 1000 A.D. to 1707 A.D. (अंग्रेज़ी में). Atlantic Publishers & Dist. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-269-0123-4.
- Sharma, Gopi Nath (1954). Mewar & the Mughal Emperors (1526-1707 A.D.) (अंग्रेज़ी में). S.L. Agarwala.
- Dirk H. A. Kolff (1990). Naukar, Rajput, and Sepoy: The Ethnohistory of the Military Labour Market of Hindustan, 1450-1850. Cambridge University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-52305-9.