सिविल प्रक्रिया
सिविल मुकदमों (अर्थात् दीवानी) पर निर्णय देते समय न्यायालयों द्वारा पालन की जाने वाली आवश्यक प्रक्रिया एवं मानकों को सिविल प्रक्रिया (Civil procedure) कहते हैं। आपराधिक मुकदमों में दूसरी प्रक्रिया लागू होती है जिसे दण्ड प्रक्रिया कहते हैं। सिविल प्रक्रिया में दिए गए नियमों में स्पष्ट उल्लेख होता है कि-
- सिविल मुकदमों को कैसे आरम्भ किया जा सकता है,
- केस की सुनवाई किस-किस प्रकार से होगी,
- कथन (बयान) कैसे लिए जाएंगे,
- किस-किस प्रकार के आवेदन किए जा सकते हैं,
- किस प्रकार के आदेश दिए जा सकते हैं,
- निक्षेपण (depositions) का समय एवं तरीका, आदि
परिचय
संपादित करेंयदि किसी व्यक्ति के अधिकारों का किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है तो जिस व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है वह न्यायालय की शरण जाता है। किसी भी सिविल मुकदमे को आरम्भ करने से लेकर उसके निपटारे तक के लिये न्यायालय की अपनी एक प्रक्रिया होती है क्योंकि यदि यह प्रक्रिया न हो या निश्चित न हो तो अनेकों समस्याएँ आयेंगी और केस के निपटारे में असाधारण बिलम्ब हो सकता है।ऐसी समस्याओं से बचने के लिये ही सिविल प्रक्रिया संहिता, १९०८ पारित की गयी थी। इसमें न्यायालय में सिविल वाद के प्रस्तुति से लेकर निस्तारण तथा उसके बाद उसकी डिक्री के निष्पादन के लिये एक सुस्पष्ट लिखित प्रक्रिया निर्धारित कर दी गयी है।
सिविल वाद
संपादित करेंसिविल प्रक्रिया संहिता के अनुसार किसी सम्पत्ति से सम्बन्धित या अधिकारों से सम्बन्धित वाद सिविल वाद या दीवानी वाद कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में, किसी निजी या सार्वजनिक अधिकार को लेकर दो या अधिक व्यक्तियों में जो वाद शुरू होता है उसे सिविल वाद कहते हैं।
मोटे तौर पर सिविल वादों के अन्तर्गत निम्नलिखित वाद शामिल किये जाते हैं-
- कर्ज या किसी अन्य धनराशि की वसूली से सम्बन्धित वाद
- नागरिक अधिकारों (सिविल राइट्स) से संबन्धित वाद, जैसे- कॉपीराइट, सड़क पर आवागमन से सम्बन्धित वाद।
- चल या अचल सम्पत्ति से सम्बन्धित वाद
- सुखाधिकार से सम्बन्धित वाद, जैसे- व्यक्तिगत नाले का उपयोग, नाली, नींव आदि से सम्बन्धित वाद।
- मकान मालिक एवं किरायेदार के बीच विवाद
- पारिवारिक विवाद जैसे- वैवाहिक विवाद, भरण-पोषण से संबन्धित विवाद आदि।
- किसी करार या समझौते से सम्बन्धित विवाद।
- साझेदारी फर्म या लेखा-जोखा से सम्बन्धित वाद
- धार्मिक अधिकारों से सम्बन्धित वाद
- सार्वजनिक स्थलों से सम्बन्धित विवाद
- मोटर दुर्घटना हेतु प्रतिकर आदि से सम्बन्धित विवाद।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- सर्वोच्च न्यायालय ने सिविल प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों व्याख्या की
- भारत में विधि का इतिहास-42: ऐलीजा इंपे ने रखी दीवानी प्रक्रिया संहिता की नींव Archived 2015-09-22 at the वेबैक मशीन
- सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ (गूगल पुस्तक ; लेखक - अभिनव मिश्र)
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |