श्री श्री सीतारामदास ओंकारनाथ (१७ फरवरी १८९२ - ६ दिसंबर १ ९८२) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के एक सुप्रसिद्ध वैष्णव संत थे जो कि १९वीं शताब्दी के भक्ति पंथ के आध्यात्मिक सितारे और एक अप्रतिम लोक कल्याणकारी विभूति थे। लोगों के बीच में वे "श्री श्री ठाकुर सीतारामदास ओंकारनाथ" के नाम से जाने जाते थे । इस नाम में"ओंकार" सर्वोच्च ब्रह्मांडीय ज्ञान का और परम चेतना की उपलब्धि का प्रतीक है । लोग मानते थे कि उनके रूप में साक्षात कलियुग ने ही दिव्य अवतार लिया है जिन्होंने सनातन धर्म और वैदिक आध्यात्मिक पथ के सिद्धांतों को दुनिया भर के अनगिनत भक्तों के लिए सुलभ किया, जिसमें मुख्य जोर और सर्वोपरि महत्व "हरे कृष्ण हरे राम” के दिव्य जप [नाम संकीर्तन] लाभ पर  दिया गया। "हरे कृष्ण हरे राम" को सर्वव्यापी "तारक ब्रह्म नाम" के रूप में माना जाता है जो कलियुग में आत्मा का उद्धार करता है और "मोक्ष" या जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति  प्रदान करता है।

  1. "Shri Shri Sitaramdas Omkarnath Thakur « Shri Somnath Mahadev". मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2015-04-05.
  2. Supe, Raj (2011). Cloudburst of a Thousand Suns. Dehli: Celestial Books. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9-38111-562-6.
श्री श्री सीतारामदास ओमकारनाथ
चित्र:Thakur Sitaramdas Omkarnath.jpg
धर्म हिंदू
व्यक्तिगत विशिष्ठियाँ
जन्म प्रबोध चंद्र चट्टोपाध्याय
17 फ़रवरी 1892
Keota Village, हुगली, पश्चिम बंगालl, भारत[1]
निधन 6 दिसम्बर 1982(1982-12-06) (उम्र 90)
भारत
Quotation

ईश्वरीय नाम में आस्था अंध विश्वास नहीं है। तुम उसे पुकारो। तुम उसे चाहे कैसे पुकारो- खड़े हुए, बैठे हुए, खाते हुए, सोने से पहले- जब भी जैसे भी तुम उसे बुलाओगे, - तुम परम शांति को उपलब्ध होगे । [2]:{{{1}}}