सीताराम सेकसरिया
सीताराम सेकसरिया (१८९२ - १९८२) भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, गांधीवादी, समाजवादी और पश्चिम बंगाल के संस्था निर्माता थे। वे मारवाड़ी समुदाय के उत्थान के लिए उनके योगदान के लिए जाने जाते थे। वह एक उच्च विद्यालय संस्थान 'मारवाड़ी बालिका विद्यालय', 'समाज सुधार समिति', एक सामाजिक संगठन और 'भारतीय भाषा परिषद', उच्च शिक्षा संस्थान 'श्री शिक्षाशाटन' सहित कई संस्थानों और संगठनों के संस्थापक थे। भारत सरकार ने समाज में उनके योगदान के लिए उन्हें 1962 में पद्मभूषण से सम्मानित किया था।
1892 में राजस्थान के नवलगढ़ में जन्मे सीताराम सेकसरिया का अधिकांश जीवन कलकत्ता (कोलकाता) में बीता। व्यापार-व्यवसाय से जुड़े सेकसरिया अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक और नारी शिक्षण संस्थाओं के प्रेरक, संस्थापक, संचालक रहे। महात्मा गांधी के आह्वान पर स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर, महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के करीबी रहे। सत्याग्रह आंदोलन के दौरान जेल यात्रा भी की। कुछ साल तक आजाद हिन्द फौज के मंत्री भी रहे।
सीताराम सेकसरिया को विद्यालयी शिक्षा पाने का अवसर नहीं मिला। स्वाध्याय से ही पढ़ना-लिखना सीखा। स्मृतिकण, मन की बात, बीता युग, नयी याद और दो भागों में एक कार्यकर्ता की डायरी उनकी उल्लेखनीय कृतियाँ हैं
उन्होंने भारत को आगे बढ़ाने और शिक्षित करने के लिए कई संस्थाओ का निर्माण करवाया – उच्च विद्यालय संस्थान, मारवाड़ी बालिका विद्यालय,समाज सुधार समिति, एक सामाजिक संगठन इत्यादि। अपने सामाजिक योगदान के कारण भारत सरकार द्वारा इनको 1962 में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था। सीताराम सेकसरिया ने हिंदी भाषा को बड़ावा देने और अंग्रेजी के प्रचार प्रसार को रोकने के लिए अपने मित्र भागीरथ कनोडिया के साथ मिलकर अपनी वृद्धावस्था करीब 80 वर्ष की उम्र में 1974 में भारतीय भाषा परिषद की स्थापना की उनके जीवन की कहानी एक किताब,पद्म भूषण सीताराम सेकसरिया अभिनंदन ग्रंथ में प्रकाशित की गई है , जिसे भावरमल सिंह द्वारा संपादित किया गया है और 1974 में प्रकाशित किया गया था। 19 मई,1982 को इनकी मृत्यू हुई थी।
संदर्भ
संपादित करें- सीताराम सेकसरिया का जीवन परिचय Archived 2022-06-01 at the वेबैक मशीन
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