सी॰ डी॰ देशमुख
सी॰डी॰ देशमुख (पूरा नाम: चिन्तामणि द्वारकानाथ देशमुख, जन्म: 14 जनवरी 1896, मृत्यु: 2 अक्टूबर 1982) भारतीय रिजर्व बैंक के पहले भारतीय[2] गवर्नर थे, जिन्हें 1943 में ब्रिटिश राज द्वारा नियुक्त किया गया। ब्रिटिश राज ने उन्हें सर की उपाधि दी थी। इसके पश्चात् उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में भारत के तीसरे वित्त मंत्री के रूप में भी सेवा की।
सर चिन्तामणि द्वारकानाथ देशमुख | |
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सी॰डी॰देशमुख (बायें), पालम हवाई अड्डे पर (1952) | |
कार्यकाल 29 मई 1950[1]–1957 | |
प्रधानमंत्री | जवाहरलाल नेहरु |
पूर्वा धिकारी | जॉन मथाई |
उत्तरा धिकारी | टी. टी. कृष्णमाचारी |
कार्यकाल 1943–49 | |
पूर्वा धिकारी | जेम्स ब्रेड टेलर |
उत्तरा धिकारी | बेनेगल रामा राव |
भारतीय रिजर्व बैंक के उप गवर्नर
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कार्यकाल 22.12.1941 से 10.08.1943 | |
पूर्वा धिकारी | जेम्स ब्रेड टेलर |
जन्म | 14 जनवरी 1896 नाते, महाड, रायगढ़, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 2 अक्टूबर 1982 | (उम्र 86 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शैक्षिक सम्बद्धता | कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय |
धर्म | हिन्दू |
प्रारम्भिक जीवन
संपादित करेंसी॰डी॰ देशमुख का जन्म महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले के नाते में एक चन्द्रसेनिया कायस्थ प्रभु परिवार में प्रतिष्ठित वकील द्वारिकानाथ गणेश देशमुख के यहाँ 14 जनवरी 1896 ई. को हुआ। इनकी माता का नाम भागीरथीबाई था, जो एक धार्मिक महिला थी। इनका बचपन रायगढ़ ज़िले के रोहा में ही बीता। इनका परिवार अत्यंत समृद्ध था और भूमि जोत पृष्ठभूमि की सार्वजनिक सेवा की एक परंपरा से जुड़ा हुआ था। देशमुख का एक शानदार अकादमिक कैरियर रहा है। उन्होने बंबई विश्वविद्यालय से 1912 में मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और संस्कृत में पहली बार छात्रवृत्ति प्राप्त किया। इसके पश्चात 1917 में उन्होने यीशु कॉलेज, कैम्ब्रिज, इंग्लैंड से वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान और भूविज्ञान के साथ स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की, जहाँ उन्हें वनस्पति विज्ञान में फ्रैंक स्मार्ट पुरस्कार प्राप्त हुआ। अंतत: वे 1918 में भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में अव्वल रहे।
● DRTC का उद्घाटन - सी॰डी॰ देशमुख
● "विश्वविद्यालय ग्रंथालय विश्वविद्यालय का हृदय स्थल होता है" यह कथन किसका है - सी॰डी॰ देशमुख
प्रशासनिक जीवन
संपादित करेंलंदन से आई॰सी॰एस॰ (भारतीय सिविल सेवा) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे भारत में विभिन्न पदों पर काम करते रहे।[3]उन्होंने भारत की ब्रिटिश राज के प्रतिनिधि के रूप में वर्षों तक 'विश्व बैंक' और 'अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष' के गवर्नर के रूप में भी काम किया।
राजनीतिक जीवन
संपादित करें1949 ई॰ में आई॰सी॰एस॰ से सेवानिवृत्त होने के बाद वे भारतीय संसद के सदस्य और 'योजना आयोग' के सदस्य बनाये गए। 1950 में उन्हें देश के वित्त मंत्री के रूप में नेहरू जी के मंत्रिमंडल में सम्मिलित किया गया। महाराष्ट्र प्रदेश के निर्माण के आंदोलन के समय देशमुख ने वित्त मंत्री का पद तो त्याग दिया, किंतु उनको अन्य महत्त्वपूर्ण पद मिलते गए। वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष बने और दिल्ली विश्वविद्यालय के उपकुलपति बनाये गए। देशमुख को 1975 में राष्ट्रपति ने पद्म विभूषण के अलंकरण से सम्मानित किया। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं।
व्यक्तिगत जीवन
संपादित करेंउनका विवाह एक अंग्रेज महिला से हुआ था, जिससे उन्हें एक बेटी थी, किन्तु 1946 में दाम्पत्य जीवन में मतभेद के दृष्टिगत सुलह का प्रयास विफल हुआ और उनकी पहली पत्नी इंग्लैंड लौट गईं। बाद में 1952 में 57 वर्ष की उम्र में उन्होंने 43 वर्ष की एक नि: संतान विधवा, स्वतंत्रता सेनानी,कांग्रेस पार्टी और लोकसभा की सदस्य व सामाजिक कार्यकर्ता दुर्गाबाई देशमुख से शादी कर ली।
सम्मान और पुरस्कार
संपादित करें- कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा 'डॉक्टर ऑफ़ साइंस' (1957) की उपाधि मिली।
- सन 1959 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित हुए।
- सन 1975 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
मृत्यु
संपादित करेंसी॰डी॰ देशमुख की मृत्यु 2 अक्टूबर 1982 को हुई।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अगस्त 2013.
- ↑ "Chintaman Deshmukh Memorial Lectures". मूल से 30 दिसंबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अगस्त 2013.
- ↑ "Chintaman Deshmukh Memorial Lectures" Archived 2006-12-30 at the वेबैक मशीन भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाईट (अँग्रेजी) में