सुक़ुत्रा (अरबी: سُقُطْرَى‎) या सोक़ोत्रा (अंग्रेज़ी: Socotra) एक छोटा सा द्वीपसमूह है, जिसके सबसे बड़े द्वीप सुक़तरा, जिसका भू-क्षेत्र पूरे द्वीपसमूह का लगभग ९५% है, के नाम पर इस द्वीपसमूह को भी सुक़ुत्रा कहा जाता है। यह अफ़्रीका के सींग से २४० किमी पूर्व में और अरबी प्रायद्वीप से ३८० किमी दक्षिण में स्थित हैं। प्रशासनिक रूप से यह यमन देश के हदरामौत प्रान्त का हिस्सा है, हालांकि २००४ तक यह उसी देश के अदन प्रान्त का भाग हुआ करता था और भौगोलिक दृष्टि से अल-महराह प्रान्त के सबसे पास है। इस द्वीप समूह के सबसे बड़ा द्वीप का नाम भी सुक़ुत्रा है और बाक़ी तीन द्वीप (अब्द अल-कूरी, समहाह, दरसाह) इसके मुक़ाबले में बहुत छोटे हैं।

सुक़ुत्रा
भूगोल
अवस्थितिहिन्द महासागर
निर्देशांक12°30′36″N 53°55′12″E / 12.51000°N 53.92000°E / 12.51000; 53.92000निर्देशांक: 12°30′36″N 53°55′12″E / 12.51000°N 53.92000°E / 12.51000; 53.92000
द्वीपसमूहसुक़ुत्रा द्वीपसमूह
क्षेत्रफल3,796 km2 (1,465.6 sq mi)
अधिकतम ऊँचाई1,503 m (4931 ft)
प्रशासन
यमन
जनसांख्यिकी
जनसंख्या42,842
जन घनत्व11.3 /km2 (29.3 /sq mi)
युनेस्को विश्व धरोहर स्थल
सुक़ुत्रा द्वीपसमूह
विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम

स्थानीय वृक्ष प्रजाति Dracaena cinnabari
देश  यमन
प्रकार प्राकृतिक
मानदंड x
सन्दर्भ 1263
युनेस्को क्षेत्र अरब राष्ट्र
शिलालेखित इतिहास
शिलालेख 2008 (32वां सत्र)

समुद्र में अन्य स्थानों से अलग-थलग सुक़ुत्रा पर जीव क्रम-विकास (एवोल्यूशन) ने ऐसी जातियाँ बनाई हैं जो विश्व में और कहीं नहीं मिलती। वनस्पति वैज्ञानिकों के अनुसार यहाँ पाए जाने वाले एक-तिहाई वृक्ष-पौधे और कहीं नहीं मिलते। इसे अक्सर पृथ्वी की सबसे ज़्यादा परग्रही दिखने वाली जगह के रूप में वर्णित किया जाता है।[1]

नामोत्पत्ति

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कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस द्वीप पर सबसे पहले भारतीय मूल के लोग निवास करते थे और उन्होंने इसका नाम संस्कृत भाषा में 'सुखधारा द्वीप' रखा था। सिकंदर महान के काल में यूनानिओं को इस द्वीप का पता चला तो उन्होंने इस संस्कृत नाम का यूनानिकरण कर के इसे 'दिओसकोर्दिया' (Διοσκουρίδα, Dioscordia) कहना शुरू कर दिया। इन्हीं नामों से आधुनिक 'सुक़ुत्रा' नाम पड़ने की आशंका है। अन्य स्रोतों के अनुसार यह अरबी भाषा के 'सूक' (यानि बाज़ार) और 'क़तरा' (यानि बूँद) शब्दों से भी आया हो सकता है। इनके अनुसार यहाँ पाए जाने वाले 'अझ़दहा रक्त वृक्ष' से निकलने वाला रस (जो ख़ून जैसे लाल रंग का होता है) को जमाकर बनाने वाला 'लोबान' (फ़्रैंकिनसेन्स​) नामक सुगन्धित पदार्थ यहाँ से बहुत निर्यात होता था इसलिए इसे 'सूक अल-क़तरा' (अझ़दहा रक्त की बूंदों का बाज़ार) कहा जाने लगा।[2]

 
 
 

इन्हें भी देखें

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  1. "सोकोत्रा द्वीप". मूल से 13 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 सितंबर 2010.
  2. Yemen: Bradt Travel Guide Archived 2017-03-12 at the वेबैक मशीन, Daniel McLaughlin, pp. 223, Bradt Travel Guides, 2008, ISBN 978-1-84162-212-5, ... After all, the Indians who occupied the island before the Greeks had named it Dvipa Sukhadara - Sanskrit for 'the Island of Bliss' ... adapted the old Sanskrit name to the Greek language as 'Dioscorida'. From this Sanskrit appellation as well, the island's modern name 'Socotra' was derived. There are several other theories ... According to the Arabian geographer Yaqut al-Hamawi, this tree was known locally as al-Qatir; thus, Souk al-Qatir ('the Dragon's Blood Tree Market') is feasible ...