सुखदेव सिंह बब्बर

बब्बर खालसा का सरगना

सुखदेव सिंह बब्बर (Sukhdev Singh Babbar) (9 अगस्त 1955 - 9 अगस्त 1992) 1980 में भारत के पंजाब राज्य में सक्रिय बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) का नेता था। जिसका प्राथमिक उद्देश्य सिखों के लिए स्वतंत्र राज्य का निर्माण था, जिसे खलिस्तान कहा जाता था।.[1] उसने (तलविंदर सिंह बब्बर और अमरजीत कौर के साथ) बब्बर खालसा इंटरनेशनल की स्थापना की और 1992 में जब तक उनकी मृत्यु हो गई तब तक 14 साल तक लगातार बीकेआई को चलाया।

सुखदेव सिंह बब्बर
Sukhdev Singh Babbar
जन्म जत्थेदार सुखदेव सिंह बब्बर
9 अगस्त 1955
ढसुवाल, पट्टी, अमृतसर, भारत
मौत 9 अगस्त 1992(1992-08-09) (उम्र 37)
पटियाला, पंजाब, भारत
पेशा बब्बर खालसा अंतर्राष्ट्रीय का प्रमुख
धर्म सिख धर्म
माता-पिता जिंद सिंह और हरनम कौर

खालिस्तान आंदोलन में भागीदारी संपादित करें

द ट्रिब्यून के अनुसार, निर्णकिरि-सिख संघर्ष (13 अप्रैल, 1978) का दिन वो ही दिन था। जिस दिन उनकी शादी तय हुई। इस दिन, उन्होंने प्रतिज्ञा की कि वे निरंकारीस पर बदला लेगे।[2] उसने सिखों के लिए भारत से अलग राज्य खालिस्तान बनाने के उद्देश्य से तलबींदर सिंह परमार के साथ बब्बर खालसा इंटरनेशनल की स्थापना की। बीकेआई का पहला यूनिट 1981 में कनाडा में स्थापित किया गया था। यह संगठन संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, नॉर्वे, स्विटजरलैंड और पाकिस्तान में मौजूद था।[3] बब्बर खालसा इंटरनेशनल उसके मार्गदर्शन में खालिस्तान आंदोलन में एक प्रमुख भागीदार बन गया और भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ सैकड़ों आपरेशनों में भाग लिया और कई भारतीय राज्यों में सक्रिय रहा।[3]

न्यूयॉर्क टाइम्स ने सुखदेव सिंह बब्बर को बब्बर खालसा इंटरनेशनल के अध्यक्ष के रूप में बताया। खालिस्तान आंदोलन के दौरान, बब्बर खालसा इंटरनेशनल के प्रमुख सुखदेव सिंह बब्बर का नाम, पुलिस के दिमाग में आतकी के रूप में था।[2]

मृत्यु संपादित करें

9 अगस्त 1992 को उसकी मृत्यु हो गई। जब भारी सशस्त्र पुलिसकर्मियों ने अगस्त की शुरुआत में पटियाला के भीड़ भरे शहर में आरामदायक विला पर हमला किया और उसे पकड़ लिया। द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक उसकी मृत्यु की परिस्थितियां विवादित हैं। शुरू में, पुलिस ने कहा कि शहर के बाहर एक बंदूक की लड़ाई में उसे मार दिया गया था। उसके बाद, उन्होंने कहा कि वह निहत्थे था और उसने साइनाइड कैप्सूल को खाकर आत्महत्या की। एक तीसरी रिपोर्ट ने कहा कि उसके कब्जे के बाद उसे पुलिस ने गोली मार दी थी।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Hazarika, Sanjoy (August 31, 1992). "Punjab Violence Eases as Police Claim Successes". The New York Times.
  2. "The Tribune, Chandigarh, India - Main News". मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 April 2015.
  3. "Babbar Khalsa International". मूल से 1 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 April 2015.