ऐसे नाटक जिनके अन्त में नायक अपने विरोधियों को पराजित करके या मारकर विजयी होता है, सुखान्त नाटक कहलाते हैं। इनमें सत्य पर असत्य की विजय होती है। भारतीय साहित्य में अधिकांश नाटक सुखान्त ही हैं।

इन्हें भी देखें संपादित करें