सुन्नत
सुन्नत (अरबी سنة (एक वचन) سنن (बहुवचन) : हज़रत मुहम्मद के प्रवचन, शिक्षा, मार्गदर्शन को सुन्नत कहते हैं। हज़रत मुहम्मद के काल में उनके अनुयायी या सहाबा को दिए गए मार्गदर्शन या ज्ञान को सुन्नह या सुन्नत (फ़ारसी और उर्दू शब्द) कहते हैं, जो सारे मुस्लिम जगत को अमल करने के लिए कहा गया। [1][2] इस्लाम धर्म में क़ुरान और हदीस साबित पुस्तकें हैं। और इन्हीं की बुनियाद पर इस्लामीय न्याय शास्त्र बना है। [1][3] सुन्नत का मतलब "मार्ग" या "जीवन शैली" या "जीवन विधी" के भी होते हैं, जिसे मुसल्मान अपने जीवन में अपनाता है। [4]
यह एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ "आसानी से बहना या सीधा चलने वाली राह "। सही तौर पर इसका अर्थ साफ़-सुथरा सीधा रास्ता है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ Abou El Fadl, Khaled (22 March 2011). "What is Shari'a?". ABC RELIGION AND ETHICS. Archived from the original on 20 जून 2015. Retrieved 20 June 2015.
- ↑ Hameed, Shahul (24 November 2014). "Why Hadith is Important". onislam.net. Archived from the original on 7 सितंबर 2015. Retrieved 2 September 2015.
- ↑ "What is the Difference Between Quran and Sunnah?". Ask a Question to Us. Archived from the original on 20 जून 2015. Retrieved 20 June 2015.
- ↑ Qazi, M.A.; El-Dabbas, Maohammed Sa'id (1979). A Concise Dictionary of Islamic Terms. Lahore, Pakistan: Kazi Publications. p. 65.