सुशील कुमार दे (29 जनवरी 1890 - 31 जनवरी 1968) भारत के बहुज्ञानी थे। उनकी शिक्षा एक वकील के रूप में हुई थी और उनकी डिग्री अंग्रेजी तथा संस्कृत काव्यशास्त्र में थी किन्तु उन्होने संस्कृत साहित्य, दर्शन, काव्यशास्त्र, बंगला साहित्य के इतिहास पर लिखा। इसके अतिरिक्त उन्होने पाण्डुलिपियों से उन्होने बहुत से संस्कृत व बंगला ग्रन्थों के समालोचनात्मक संस्करण सम्पादित किये।

रचित ग्रन्थ संपादित करें

विभिन्न भाषाओं में उनके शताधिक निबन्ध हैं। बांग्ला में रचित ९ ग्रन्थों में से ६ काव्ग्रन्थ हैं। इनके अतिरिक्त ८ अन्य ग्रन्थ भी सम्पादन किए। उनके द्वारा रचित ५ अंग्रेजी ग्रन्थ ये हैं-

  • Studies in the History of Sanskrit poetics (2 Vols. 1923, 1925)
  • History of Bengali Literature in the Nineteenth century
  • History of Sanskrit Literature (1947)
  • Treatment of Love in Sanskrit Literature
  • Early History of the Vaishnava Faith and Movement in Bengal

उनके द्वार रचित उल्लेखयोग्य ग्रन्थ ये हैं-

  • काब्यलीलायता (१९३४)
  • प्राकतनी (१३४१)
  • अद्यतनी (१३४८)
  • क्षणदीपिका (१३५५)
  • सायन्तनी (१३६१)
  • बांग्ला प्रबाद (१३५२)
  • नाना निबन्ध (१३६०)

इनके अलावा, 'दीनबन्धु मित्र' (१३५८) उनके द्वारा रचित एक उल्लेखयोग्य जीवनी ग्रन्थ है।