सूर्य मंदिर, प्रतापगढ़
सूर्य मंदिर प्रतापगढ़, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित भगवान सूर्य को समर्पित प्राचीन मंदिर है जो उत्तर प्रदेश के इलाहबाद मुख्यालय से करीब 42 किलोमीटर दूर स्थित प्रतापगढ़ के सदर तहसील के गौरा के स्वरूपपुर के मजरा शिवगंज स्थित पटेल बस्ती में स्थित है।
स्थिति
संपादित करेंयह सूर्य मंदिर उत्तर प्रदेश प्रान्त के इलाहबाद और प्रतापगढ़ के जनपदीय सीमा पर स्थित है, किन्तु प्रतापगढ़ जनपद में पड़ता है तथा यहाँ से मान्धाता ब्लाक १० किलोमीटर है। प्रसिद्द पांडवकालीन पौराणिक स्थल भयहरण नाथ से केवल ३०० मीटर कि दूरी पर पूर्व में सुर्य मंदिर स्थित है। सूर्य मंदिर से कटरा गुलाब सिंह बाजार महज २ किलोमीटर की दूरी पर है।प्रतापगढ़ जिला से ३२ किलोमीटर तथा प्रयाग से ४२ किलोमीटर के फासले पर स्थित है।
इतिहास
संपादित करेंपुरातत्व विज्ञानियों का मानना है कि मंदिर का का निर्माण 8वीं-9वीं शताब्दी में हुआ था। लोक मान्यता है कि सम्भवतः मुसलमान शासकों ने भव्य मंदिर को ध्वस्त करा दिया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की प्रथम सर्वेयर जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम ने सूर्य मंदिर तथा तुषारण विहार को देखा था।
प्रतिमा
संपादित करेंमंदिर पर बेल, बूटे, पत्ते तथा देवताओं के चित्र खुदे है। मंदिर के ऊपर एक विशाल शिवलिंग है जिसकी चौड़ाई लगभग 4 फुट तथा लम्बाई 7 फुट है। शिवलिंग के उत्तर की ओर काले पत्थर में सूर्य देवता की मूर्ति खुदी है। मूर्ति को देखने से स्पष्ठ होता है कि एक हाथ में चक्र, पुष्प और शंख तथा दूसरा हाथ आशीर्वाद की स्तिथि में है। इसके अतिरिक्त मंदिर में भगवान बुद्ध की मूर्तियाँ हैं।
क्षेत्रफल
संपादित करेंमंदिर का कुल क्षेत्रफल 13 बिस्वा, 7 बिस्वाँशी है। वर्तमान में केवल सात बिस्वा भूमि ही शेष रह गया है। शेष भूमि पर लोगों ने क़ब्ज़ा कर लिया है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- सूर्य मन्दिर[मृत कड़ियाँ] –सूर्य मन्दिर, प्रतापगढ़।
- सूर्य मन्दिर[मृत कड़ियाँ] –वीरान पड़ा हुआ है प्राचीन सूर्य मंदिर।