इन्दौर के सेठ हुकुमचन्द जैन (कास्लीवाल) (1874–1959) भारतीय उद्योग के अग्रदूतों में से थे। वे लगभग ५० वर्षों तक जैन समाज के प्रमुख नेता थे।

सेठ हुकुमचंद ने इन्दौर शहर में टेक्सटाइल उद्योग की स्थापना कर हजारों मजदूरों की रोजी-रोटी की व्यवस्था की थी। इंदौर की वर्तमान रौनक में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। कपड़ा बाजार (क्लॉथ मार्केट) की स्थापना में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। शेयर्स के व्यापार में अमेरिका तक उनका प्रभाव रहा।

महाराजा यशवंतराव होलकर के संरक्षण में 31 मार्च, 1916 को स्थापित इन्दौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव बैंक लि- (आई-पी-सी-बैंक) के सर सेठ हुकमचंद संस्थापक अध्‍यक्ष थे ।[1]

सेठजी स्वयं के लिए नहीं जिए, उन्होंने समाज के लिए जितना किया और जितना दिया उसे भुलाया नहीं जा सकता है। शहर में कांच मंदिर, नसिया में मंदिर और धर्मशाला के साथ ही श्राविकाश्रम का निर्माण कर उन्होंने महिलाओं के उद्धार के लिए भी काम किया। शिक्षा के क्षेत्र में संस्कृत महाविद्यालय की भी स्थापना की। उनके द्वारा बनाए गए छात्रावास में पढ़े विद्यार्थी आज भी देश-विदेश में उनकी यशगाथा गा रहे हैं।

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