सोंढुर नदी
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सोंढुर का वासतविक नाम मुचकुंदपुर था,वह कालंतर में वरत़़मान नाम मेचका है, और यह़ नाम राजा मुचकुंद के नाम पर पडा़,राजा मुचकुंद ने देवासुर संगराम में देवताऔं की तरप से भाग लिया यह लडाई बहुत दिनों तक चलि और देंवताओं की जीत हुई ,बरमहा आदि देंवताऔं ने राजा मुचकुंद काे वरदान मांगने कहा राजन ने लडाई से थककर गाढी निदरा का वर लिया और जो भी इस नींद से जगाने वाले को आंख खुलते ही भसम हो जाने क वर लिया,कालंतर दवापर में भगवान किसन ने कालयवन असुर को यहिं पर मरवाया था।
सोंढुर नाले पर डैम बनने के कारण सोंढुर नाम परचलन में आया है, सोंढूँर नदी राजिम में महानदी से मिलती है जहाँ पैरी, महानदी और सोंढूर नदियों का त्रिवेणी संगम-स्थल है। लीलांजन (लीलानी) और गोगोर नदी सोंढुर नदी की सहायक नदियां हैं (विदित है कि सोंढुर महानदी की सहायक नदी है) इन दोनो नदियों के बेसिन में उदन्ती और सीतानदी अभयारण्य स्थित हैं जो संयुक्त रूप से उदन्ती–सीता नदी अभ्यारण्य और टाइगर रिजर्व क्षेत्र है।
उदंती नदी, उदंती अभारण्य छत्तीसगढ़ से बहते हुए पूर्व दिशा में उड़ीसा की ओर बहता है।
सीता नदी, सीता नदी अभारण्य में बहते हुए दुधवा रिजर्वॉयर मिल जाता है, दुधावा रिजर्वायर से सिलियरी नदी का उद्गम होता है जो गंगरेल डैम में आकर मिल जाता है।