सोनबरसा राज
सोनबरसा राज (Sonbarsa Raj) भारत के बिहार राज्य के सहरसा ज़िले में स्थित एक गाँव है।[1][2][3]
सोनबरसा राज Sonbarsa Raj | |
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निर्देशांक: 25°25′N 86°25′E / 25.41°N 86.42°Eनिर्देशांक: 25°25′N 86°25′E / 25.41°N 86.42°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | बिहार |
ज़िला | सहरसा ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 12,297 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी, मैथिली |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
नामोत्पत्ति
संपादित करें"सोनबरसा" शब्द दो भागो को मिलाकर बना है - "सोना" (ख़ुशी) + "बरसा" (वर्षा), यानी जहाँ खुशियों की वर्षा होती है।
इतिहास
संपादित करेंआरंभ में सोनबरसा राज क्षेत्र अंगुत्तरप कहलाता था और उत्तर बिहार प्रसिद्ध वैशाली महाजनपद के सीमा पर स्थित था। अंग देश के शक्ति समाप्त होने के बाद यह मगध साम्राज्यवाद का शिकार हो गया, इसके आस पास के इलाके में मौर्य स्तम्भ मिलने से यह बात प्रमाणित होता है। सोनबरसा राज के सटे बिराटपुर गाँव में खुदाई के दौरान बोध धर्म के कुछ स्मृति चिन्ह मिले है जिससे ये भी कहा जा सकता है की यहाँ बोध धर्मं का भी प्रादुर्भाव रहा होगा। महाभारत के समय पांडव के अज्ञात वास के समय में विराटपुर गाँव का नाम पड़ता है जिससे यह भी साबित होता है की वो इस गाँव से गुजरे होंगे।
भौगोलिक स्थिति
संपादित करेंसोनबरसा राज सहरसा जिले का एक प्रमुख गाँव है जिसके उत्तर में सोहा और बिराटपुर, दक्षिण में पररिया, पश्चिम में सुगमा और कोशी नदी और पूरब में देहद गाँव हैं। समूचा गाँव एक समतल उपजाऊ क्षेत्र है, लेकिन जनसँख्या घनत्व होने के कारण इसके कुछ ही हिस्सों में खेती की जाती है, मौसमी फलो जैसे आम और लीची और अमरुद के संग कही कही केले की खेती भी देखने को मिल जाती है। यहाँ की मिटटी चिकनी और दोमट है जो धान और गेहूं की फसल के उपयुक्त है, यहाँ साल में तीन फसल हो जाती है, कही कही दलहन के बिच, तिलहन फसल उगाने का भी मिल जाता है। हरेक साल बिहार का शोक कही जाने वाली नदी कोशी की विभीषिका से भी इस गाँव को दो चार होना पड़ता है, हरेक साल कोशी की बाद लीला कइयो को लील जाती है। हरेक वर्ष कम से कम १०-१५ लोगो को डूबने से मौत हो जाती है। साथ ही बाढ़ अपने साथ महामारी भी लाती और उचित इलाज़ के आभाव में आज भी यहाँ बच्चे दम तोड़ते दिखाई पड़ जाते है।
जनसँख्या और साक्षरता
संपादित करेंवर्ष २०११ की जनसँख्या के अनुसार इस गाँव की कुल जनसँख्या १६४५ है जिसमे पुरुष वर्ग की संख्या ५९६ और महिलाओं की संख्या ४४९ है।
प्रशासनिक विभाजन
संपादित करेंसोनबरसा राज प्रशासनिक तौर पर भी भरा पूरा है, गाँव में पुलिस थाना, अस्पताल, मवेशियों का अस्पताल, डाकघर, दो मध्य विद्यालय, एक उर्दू मध्य विद्यालय, एक उच्च विद्यालय और एक महाविद्यालय भी है। साथ ही साथ यह सोनबरसा राज गाँव सोनबरसा प्रखंड होने के नाते इसका खुद का प्रखंड मुख्यालय भी है।
शैक्षणिक संस्थान
संपादित करेंआस पास के करीब १५-२० गांवो में उच्च विद्यालय नहीं होने के कारण यह उन सभी गांवों के सिक्षा का केंद्र बिंदु है।
- मध्य विद्यालय - ३ (दो हिंदी मध्य विद्यालय और एक उर्दू मध्य विद्यालय)
- उच्च विद्यालय - १ (आठवी से बारहवी तक की पढाई)
- महाविद्यालय - १ (बारहवीं और स्नातक की पढाई के लिए)
साथ ही साथ यहाँ तीन चार पब्लिक स्कूल भी है। यहाँ के स्कुलो में राष्ट्रीय अनुसंधान, सैक्षानिक परिषद् के द्वारा मान्य पाठ्यक्रम की पढाई होती है, लेकिन कुछ पब्लिक स्कुलो में केंद्रीय माध्यमिक सिक्षा बोर्ड का पाठ्यक्रम भी पढाया जाता है।
पर्यटन स्थल
संपादित करेंछोटा गाँव के होने के वाबजूद भी सोनबरसा अपने आप में कई महत्वपूर्ण स्थानों को सिमटे बैठा है जो ऐतिहासिक महत्व तो रखता ही है साथ ही साथ हमें अद्भुत वास्तुकला का नमूना भी दिखता है।
- राज-विलास या महाराज परिसर - प्रकृति के गोद में बसा राजा हरिबल्लभ नारायण सिंह का यह महल इतिहास को दिखता है। एक छोटे से गाँव के रजा होने के वाबजूद इन्हें सर की उपाधि से नवाजा गया था। यह बिना सीमेंट और बालू के सिर्फ खड़िया और कत्थे के से बना है।
- उच्च विधालय सोनबरसा - यह एक दो मंजिले का भवन है। पुरे बिहार में भागलपुर के बाद सिर्फ यही एक गाँव है जिसमे आधुनिक व्यायामशाला है।
- रानी सती मंदिर - २०वीं के सदी के प्रारंभ में इस गाँव में प्रवासी माड़वारियो का आगमन हुआ जिनमें से एक ने इस मंदिर का निर्माण किया। इस मंदिर में रानी सती की प्रतिमा विराजमान है जो स्वेत संगमरमर के मंदिर में विराजमान है। प्रातः और सायं काल में प्रार्थना के समय श्रधालुओ की भीड़ मंदिर में होती है। खास त्योहारों और पर्वो के मौको पर भी यहाँ भीड़ जुटती है।
- धर्म-स्थान - सोनबरसा राज में विभिन्न देवी-देवताओं के पाँच मंदिर है, जिसमें दुर्गा माँ का प्रांगन विशाल है। नवरात्रों और काली पूजा में प्रमुख रूप से भीड़ जमा होती है और मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर से सटा ही राजाओ के ज़माने के एक पोखर है।
- मुक्ति-स्थान - हिन्दू-मुश्लिम के परस्पर भाई चारे के रूप में विख्यात यह स्थान हिन्दू मुश्लिम के सोह्रद का प्रतिक है। यहाँ हिन्दुओ का शमशान और कब्रिस्तान एक जगह है।
- कोशी का किनारा - कोशी यहाँ शान्ति से बाहती है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Tourism and Its Prospects in Bihar and Jharkhand Archived 2013-04-11 at the वेबैक मशीन," Kamal Shankar Srivastava, Sangeeta Prakashan, 2003
- ↑ "Bihar Tourism: Retrospect and Prospect Archived 2017-01-18 at the वेबैक मशीन," Udai Prakash Sinha and Swargesh Kumar, Concept Publishing Company, 2012, ISBN 9788180697999
- ↑ "Revenue Administration in India: A Case Study of Bihar," G. P. Singh, Mittal Publications, 1993, ISBN 9788170993810