सोरठा

अर्द्धसम मात्रिक छंद

सोरठा एक अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दोहा का ठीक उलटा होता है। इसके विषम चरणों चरण में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है। उदाहरण -

जो सुमिरत सिधि होई, गननायक करिवर बदन।
करहु अनुग्रह सोई, बुद्धि रासि शुभ-गुन सदन॥



१. नील सरोरूह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन। कराऊँ सो मम उर धाम, सदा छीरसागर स्तन ।।

२. कबहुं सुधार अपार,वेग नीचे को धावै।

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  हरहराति लहराति ,सहस जोजन चलि आवै ।।
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जो सुमिरत सिधि होय, गननायक करिबर बदन। करहु अनुग्रह सोय, बुद्धि रासि सुभ-गुन सदन