सोलापुर
सोलापुर (Solapur) भारत के महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2][3]
सोलापुर Solapur | |
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सोलापुर में रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति | |
निर्देशांक: 17°41′N 75°55′E / 17.68°N 75.92°Eनिर्देशांक: 17°41′N 75°55′E / 17.68°N 75.92°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | महाराष्ट्र |
ज़िला | सोलापुर ज़िला |
ऊँचाई | 457 मी (1,499 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 9,51,558 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | मराठी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 413001-413009 |
दूरभाष कोड | 0217 |
विवरण
संपादित करेंसोलापुर सीना नदी के किनारे स्थित है। प्रारंभिक शताब्दियों में सोलापुर शहर हिंदू चालुक्यों और देवगिरि यादवों के शासन में था, किंतु बाद में यह बहमनी और बीजापुर साम्राज्य का हिस्सा बन गया। सोलापुर मुंबई-हैदराबाद सड़क व रेलमार्गों पर स्थित है, जो बीजापुर और गडग को जाने वाली छोटी लाइनों से भी जुड़ा है। सोलापुर कपास और अन्य कृषि उत्पादों के व्यावसायिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। सोलापुर के सिद्धेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से बड़ी संख्या में आते हैं। सोलापुर एक औद्योगिक केंद्र भी है, सूती वस्त्र के क्षेत्र में यह मुंबई के बाद दूसरा केंद्र है। सोलापुर में एक पुराने मुस्लिम क़िले के भग्नावशेष हैं।सोलापूर यह शहर बहुभाषिक है और इस शहर की मुख्य भाषा मराठी है।इस शहर मे तेलुगू और कन्नड भी बोली जाती है|महादेवी लिगाडे नाम की कन्नड लिंगायत साहित्यिक महिला ने सोलापूर कर्नाटक मे जोडने के लीये आंदोलन किया था। इस विवाद के बीच केन्द्रीय सरकार ने महाजन आयोग की स्थापना की। महाजन आयोग ने सोलापूर को कर्नाटक मे जोडने का अहवाल दिया। महाराष्ट्र सरकारने इस आदेश को नाकारा। फिलाल मामला सुप्रीम कोर्ट मे है। सोलापुर वर्दियाँ बनाने के लिए भी प्रसिद्ध है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "RBS Visitors Guide India: Maharashtra Travel Guide Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Ashutosh Goyal, Data and Expo India Pvt. Ltd., 2015, ISBN 9789380844831
- ↑ "Mystical, Magical Maharashtra Archived 2019-06-30 at the वेबैक मशीन," Milind Gunaji, Popular Prakashan, 2010, ISBN 9788179914458
- ↑ Hunter, William Wilson, Sir, et al. (1908). Imperial Gazetteer of India, Volume 18, pp 398–409. 1908-1931; Clarendon Press, Oxford