सोऽहम् (=सो +अहम् = मैं 'वह' हूँ) संस्कृत भाषा में एक महावाक्य है जिसका अर्थ है- "मैं 'वह' हूँ'। वैदिक दर्शन में इसका अर्थ अपने आप को ब्रह्म या सर्वोच्च सत्ता से जोड़ना है।

‘सोऽहं’ का अर्थ है- ‘मैं वह हूँ’ ‘ॐ’ अर्थात् ‘आत्मा’। ‘वह’ अर्थात् ‘परमात्मा’। ‘सोऽहम्’ शब्द में आत्मा और परमात्मा का समन्वय है, साथ ही शरीर और प्राण का भी। ‘सोऽहम्-साधना’ जितनी सरल है, बन्धन रहित है, उतनी ही महत्वपूर्ण भी है। उच्चस्तरीय साधनाओं में ‘सोऽहम्-साधना’ को सर्वोपरि माना गया है |[1]

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