स्टीव जॉब्स

अमेरिकी बिजनेस टाईकून और आविष्कारक
(स्टीव जाब्स से अनुप्रेषित)

स्टीवन पॉल "स्टीव" जॉब्स (अंग्रेज़ी: Steven Paul "Steve" Jobs) (जन्म: २४ फरवरी, १९५५ - अक्टूबर ५, २०११) एक अमेरिकी बिजनेस टाईकून और आविष्कारक थे। वे एप्पल इंक के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे। अगस्त २०११ में उन्होने इस पद से त्यागपत्र दे दिया। जॉब्स पिक्सर एनीमेशन स्टूडियोज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी रहे। सन् २००६ में वह दि वाल्ट डिज्नी कम्पनी के निदेशक मंडल के सदस्य भी रहे, जिसके बाद डिज्नी ने पिक्सर का अधिग्रहण कर लिया था। १९९५ में आई फिल्म टॉय स्टोरी के वह कार्यकारी निर्माता थे ।

स्टीव जॉब्स
जन्म स्टीवन पॉल जॉब्स
24 फ़रवरी 1955
सैन फ्रांसिस्को
मौत अक्टूबर 5, 2011(2011-10-05) (उम्र एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित < ऑपरेटर। वर्ष)
56 years 7 months 11 daysपालो आल्टो, कैलिफ़ोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका
राष्ट्रीयता अमेरिकी
पेशा को-फ़ाउंडर, चेरमन और सी॰ई॰ओ॰, एप्पल इंक°, पिक्सार (Pixar), को-फ़ाउंडर और सी॰ई॰ओ॰, नेक्स्ट इंक॰
कार्यकाल १९७४–२०११
कुल दौलत $७.० बिलियन डॉलर
बोर्ड सदस्यता द वॉल्ट डिज़्नी कंपनी, एप्पल इंक॰
धर्म बौद्ध धर्म
जीवनसाथी लोरेन पॉवेल
(१९९१–२०११, उसका मौत)
बच्चे ४ – लीसा ब्रेनन-जॉब्स, रीड, एरिन, ईव
संबंधी मोना सिम्पसन (बहन)
हस्ताक्षर

कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन बनाने वाली कंपनी ऐप्पल के भूतपूर्व सीईओ और जाने-माने अमेरिकी उद्योगपति स्टीव जॉब्स ने संघर्ष करके जीवन में यह मुकाम हासिल किया। कैलिफोर्निया के सेन फ्रांसिस्को में पैदा हुए स्टीव को पाउल और कालरा जॉब्स ने उनकी माँ से गोद लिया था। जॉब्स ने कैलिफोर्निया में ही पढ़ाई की। उस समय उनके पास धनाभाव था और वे अपनी इस आर्थिक परेशानी को दूर करने के लिए गर्मियों की छुट्टियों में काम किया करते थे।

१९७२ में जॉब्स ने पोर्टलैंड के रीड कॉलेज से ग्रेजुएशन की। पढ़ाई के दौरान उनको अपने दोस्त के कमरे में ज़मीन पर सोना पड़ा। वे कोक की खाली बोतलें बेच कर खाने के लिए पैसे जुटाते थे और पास ही के कृष्ण मंदिर से सप्ताह में एक बार मिलने वाला मुफ़्त भोजन () भी करते थे। धनवान बन जाने के बाद जॉब्स के पास क़रीब ५.१ अरब डॉलर की संपत्ति थी और वे अमेरिका के ४३वें सबसे धनी व्यक्ति माने गए थे। जॉब्स ने आध्यात्मिक ज्ञान के लिए भारत की यात्रा की और बौद्ध धर्म को अपनाया। वह कैंची आश्रम नैनीताल अल्मोड़ा के संत नीम करोली बाबा से भी मिले थे जिन्होंने इनके उज्जवल भविष्य की सटीक भविष्यवाणी की थी. जॉब्स ने १९९१ में लोरेन पॉवेल से शादी की थी। उनका एक बेटा है।[1]

प्रारंभिक जीवन

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स्टीव जॉब्स का जन्म २४ फ़रवरी १९५५ को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया में हुआ था। स्टीव के जन्म के समय उनके माता-पिता की शादी नहीं हुए थी इसी लिये स्टीव को  कैलिफोर्निया पॉल रेनहोल्ड जॉब्स और क्लारा जॉब्स ने गोद ले लिया था। क्लारा जॉब्स ने कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त नहीं की थी और पॉल जॉब्स ने केवल उच्च विद्यालय तक की ही शिक्षा प्राप्त की थी।

जब जॉब्स 5 साल के थे तो उनका परिवार सैन फ्रांसिस्को से माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया की और चला गया। पॉल एक मैकेनिक और एक बढ़ई के रूप में काम किया करते थे और अपने बेटे को अल्पविकसित इलेक्ट्रॉनिक्स और 'अपने हाथों से काम कैसे करना है' सिखाते थे, वहीं दूसरी और क्लॅरा एक अकाउंटेंट थी और स्टीव को पढ़ना सिखाती थी।[2] जॉब्स ने अपनी प्राथमिक शिक्षा मोंटा लोमा प्राथमिक विद्यालय में ली और उच्च शिक्षा कूपर्टीनो जूनियर हाई और होम्स्टेड हाई स्कूल से प्राप्त की थी। सन् 1972 में उच्च विद्यालय के स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद जॉब्स ने ओरेगन के रीड कॉलेज में दाखिला लिया मगर रीड कॉलेज बहुत महँगा था और उनके माता-पिता के पास उतने पैसे नहीं थे। इसी वज़ह से स्टीव ने कॉलेज छोड़ दिया और क्रिएटिव क्लासेस में दाखिला ले लिया, जिन में से एक कोर्स कैलीग्राफी सुलेख पर था।

प्रारंभिक कार्य

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सन् 1973 जॉब्स ने अटारी में तकनीशियन के रूप में कार्य किया। मध्य १९७४, में आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में जॉब्स अपने कुछ रीड कॉलेज के मित्रो के साथ नीम करोली बाबा से मिलने भारत आए। किंतु जब वे कारोली बाबा के आश्रम पहुँचे तो उन्हें पता चला कि उनकी मृत्यु सितम्बर १९७३ को ही हो चुकी तब उन्होने हेडा खान बाबाजी से मिलने का निर्णय किया।उन्होंने भारत में उन्होने काफ़ी समय दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में बिताया। सात महीने भारत में रहने के बाद वे वापस अमेरिका चले गऐ। उन्होने अपनी उपस्थिति बदल डाली, उन्होने अपना सिर मुंडा दिया और पारंपरिक भारतीय वस्त्र पहनने शुरू कर दिए, साथ ही वे जैन, बौद्ध धर्मों के गंभीर अनुयायी भी बन गये। सन् 1976 में जॉब्स और वोज़नियाक ने अपनी निजी कम्पनी खोली , जिसका नाम उन्होने "एप्पल कंप्यूटर्स" रखा।

एप्पल कंप्यूटर

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एप्पल लोगो
 
27 अगस्त 1999 से उपयोग किया जा रहा लोगो।

सन् 1976 में, स्टीव वोज़नियाक ने मेकिनटोश एप्पल 1 कंप्यूटर का आविष्कार किया। जब वोज़नियाक ने यह जॉब को दिखाया तो जॉब ने इसे बेचने का सुझाव दिया, इसे बेचने के लिये वे और वोज़नियाक गैरेज में एप्पल कंप्यूटर का निर्माण करने लगे। इस कार्य को पूरा करने के लिये उन्होने अर्द्ध सेवानिवृत्त इंटेल उत्पाद विपणन प्रबंधक और इंजीनियर माइक मारककुल्ला से धन प्राप्त किया।[3]

सन् 1978 में, नेशनल सेमीकंडक्टर से माइक स्कॉट को एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में भर्ती किया गया था। सन् 1983 में जॉब्स ने लालची जॉन स्कली को पेप्सी कोला को छोड़ कर एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम करने के लिए पूछा, " क्या आप आपनी बाकी ज़िंदगी शुगर पानी बेचने मे खर्च करना चाहते हैं, या आप दुनिया को बदलने का एक मौका चाहते हैं?"

अप्रैल 10 1985 और 11, बोर्ड की बैठक के दौरान, एप्पल के बोर्ड के निदेशकों ने स्कली के कहने पर जॉब्स को अध्यक्ष पद को छोड़कर उसकी सभी भूमिकाओं से हटाने का अधिकार दे दिया।

परंतु जॉन ने यह फ़ैसला कुछ देर के लिया रोक दिया। मई 24, 1985 के दिन मामले को हल करने के लिए एक बोर्ड की बैठक हुई, इस बैठक में जॉब्स को मेकिनटोश प्रभाग के प्रमुख के रूप में और उसके प्रबंधकीय कर्तव्यों से हटा दिया गया।

नेक्स्ट कंप्यूटर

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नेक्स्ट कंप्यूटर

एप्पल से इस्तीफ़ा देने के बाद, स्टीव ने १९८५ में नेक्स्ट इंक की स्थापना की । नेक्स्ट कार्य केंद्र अपनी तकनीकी ताकत के लिए जाना जाता था, उनके उद्देश्य उन्मुख सॉफ्टवेयर विकास प्रणाली बनाना था। टिम बर्नर्स ली ने एक नेक्स्ट कंप्यूटर पर वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार किया था। एक साल के अंदर पूँजी की कमी के कारण उन्होने रॉस पेरोट के साथ साझेदारी बनाई और पेरोट ने नेक्स्ट में अपनी पूँजी का निवेश किया। सन् १९९० में नेक्स्ट ने अपना पहला कम्प्यूटर बाजार में उतारा जिस की कीमत ९९९९ डालर थी। पर इस कम्प्यूटर को महंगा होने के कारण बाज़ार में स्वीकार नहीं किया गया। फिर उसी साल नेक्स्ट ने नया उन्नत 'इन्टर पर्सनल' कम्प्यूटर बनाया।[4]

एप्पल मे वापसी

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सन् १९९६ में एप्पल की बाजार में हालत बिगड़ गई तब स्टीव, नेक्स्ट कम्प्यूटर को एप्पल को बेचने के बाद वे एप्पल के चीफ एक्जिक्यूटिव आफिसर बन गये। सन् १९९७ से उन्होंने कंपनी में बतौर सी°ई°ओ° काम किया तथा जब 1998 में आइमैक[5] बाजार में आया जो बड़ा ही आकर्षक तथा अल्प पारदर्शी खोल वाला पी°सी° था, उनके नेतृत्व में एप्पल ने बडी सफल्ता प्राप्त की। सन् २००१ में एप्पल ने आई पॉड का निर्माण किया। फिर सन् २००१ में आई ट्यून्ज़ स्टोर क निर्माण किया गया। सन् २००७ में एप्पल ने आई फोन नामक मोबाइल फोन बनाये जो बड़े सफल रहे। २०१० में एप्पल ने आइ पैड नामक टैब्लेट कम्प्यूटर बनाया। सन् २०११ में उन्होने सी ई ओ के पद से इस्तीफा दे दिया पर वे बोर्ड के अध्यक्ष बने रहे।[6]

निजी जीवन

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जॉब्स की एक बहन है जिन का नाम मोना सिम्प्सन है। उनके एक पुराने सम्बन्ध से १९७८ में उनकी पहली बेटी का जन्म हुआ जिसका नाम था लीज़ा ब्रेनन जॉब्स है। सन् १९९१ में उन्होने लौरेन पावेल से शादी की। इस शादी से उनके तीन बच्चे हुए। एक लड़का और दो लड़कियाँ। लड़के का नाम रीड है जिसका जन्म सन् १९९१ में हुआ। उनकी बड़ी बेटी का नाम एरिन है जिस का जन्म सन् १९९५ में हुआ और छोटी बेटी का नाम ईव है जिस्का जन्म सन् १९९८ में हुआ। वे संगीतकार दि बीटल्स के बहुत बड़े प्रशंसक थे और उन से बड़े प्रेरित हुए।

सन् २००३ में उन्हे पैनक्रियाटिक कैन्सर की बीमारी हुई। उन्होने इस बीमारी का इलाज ठीक से नहीं करवाया। जॉब्स की ५ अक्टूबर २०११ को ३ बजे के आसपास पालो अल्टो, कैलिफोर्निया के घर में निधन हो गया। उनका अन्तिम सन्स्कार अक्तूबर २०११ को हुआ। उनके निधन के मौके पर माइक्रोसाफ्ट और् डिज्नी जैसी बडी बडी कम्पनियों ने शोक मनाया। सारे अमेंरीका में शोक मनाया गया। वे निधन के बाद अपनी पत्नी और तीन बच्चों को पीछे छोड़ गये। स्टीव के आखिरी शब्द थे- मैं बिजनेस वर्ल्ड में सफलता की चोटी पर पहुंच चुका हूं. वहीं दूसरों की नजर में मेरी लाइफ सफलता का दूसरा नाम है. लेकिन काम को छोड़कर अगर मैं मेरी लाइफ के बारे में बात करता हूं तो मुझे यही समझ आया कि पैसा जीवन का सिर्फ एक पार्ट है और मैं इसमें अभ्यस्त हो चुका हूं. आज इस बेड पर पड़े रहकर अगर मैं अपनी पूरी लाइफ को रिकॉल करता हूं तो मुझे लगता है कि जिंदगी में मुझे जो नाम और पैसा मिला है वो मौत के समय किसी काम का नहीं है.आज मैं यहा अंधेरे में लाइफ सर्पोटिंग मशीन की ग्रीन लाइट देख रहा हूं. साथ ही भगवान को भी महसूस कर रहा हूं. मुझे मौत पास आती नजर आ रही है. मैं कहना चहता हूं कि जब आप अपने आखिरी समय के लिए पर्याप्त रुपया इकठ्ठा कर लेते हो तो आपको रिश्तों, अपनी कला और बचपन के सपनों पर ध्यान देना चाहिए. हमेशा और लगातार पैसा कमाने की आदत आपको मेरी तरह ही एक विकृत इंसान बना देगी.

पुरस्कार

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सन् १९८२ में टाइम मैगज़ीन ने उनके द्वारा बनाये गये एप्पल कम्प्यूटर को मशीन ऑफ दि इयर का खिताब दिया। सन् १९८५ में उन्हे अमरीकी राष्ट्रपति द्वारा नेशनल मेडल ऑफ टेक्नलोजी प्राप्त हुआ। उसी साल उन्हे अपने योगदान के लिये साम्युएल एस बिएर्ड पुरस्कार मिला। नवम्बर २००७ में फार्चून मैगज़ीन ने उन्हे उद्योग में सबसे शक्तिशाली पुरुष का खिताब दिया। उसी साल में उन्हे 'कैलिफोर्निया हाल ऑफ फेम' का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।

अगस्त २००९ में, वे जूनियर उपलब्धि द्वारा एक सर्वेक्षण में किशोरों के बीच सबसे अधिक प्रशंसा प्राप्त उद्यमी के रूप में चयनित किये गये। पहले इंक पत्रिका द्वारा २० साल पहले १९८९ में 'दशक के उद्यमी' नामित किये गये। ५ नवम्बर २००९, जाब्स् फॉर्च्यून पत्रिका द्वारा दशक के सीईओ नामित किये गये। नवम्बर २०१० में, जाब्स् फोरब्स पत्रिका ने उन्हे अपना 'पर्सन ऑफ दि इयर' चुना। २१ दिसम्बर २०११ को बुडापेस्ट में ग्राफिसाफ्ट कंपनी ने उन्हे आधुनिक युग के महानतम व्यक्तित्वों में से एक चुनकर, स्टीव जॉब्स को दुनिया का पहला कांस्य प्रतिमा भेंट किया।

युवा वयस्कों (उम्र १६-२५) को जब जनवरी २०१२ में, समय की सबसे बड़ी प्रर्वतक पहचान चुनने को कहा गया, स्टीव जॉब्स थॉमस एडीसन के पीछे दूसरे स्थान पर थे। १२ फ़रवरी २०१२ को उन्हे मरणोपरांत ग्रैमी न्यासी[7] पुरस्कार, 'प्रदर्शन से असंबंधित' क्षेत्रों में संगीत उद्योग को प्रभावित करने के लिये मिला। मार्च 2012 में, वैश्विक व्यापार पत्रिका फॉर्चून ने उन्हे 'शानदार दूरदर्शी, प्रेरक् बुलाते हुए हमारी पीढ़ी का सर्वोत्कृष्ट उद्यमी का नाम दिया। जॉन कार्टर और ब्रेव नामक दो फिल्मे जाब्स को समर्पित की गयी है।

  1. "स्टीव जॉब्स". मूल से 25 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 मई 2014.
  2. "जॉब्स की पूरी कहानी". मूल से 29 अप्रैल 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 मई 2014.
  3. "सक्सेस सीढ़ी". मूल से 26 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 मई 2014.
  4. "हारकर जीते जॉब्स". मूल से 25 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 मई 2014.
  5. आइमैक में आई का अभिप्राय इंटरनेट से है।
  6. तस्वीरों में कहानी
  7. "मरणोपरांत ग्रैमी मिला". मूल से 13 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 मई 2014.

बाहरी कड़ियाँ

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