स्थानिक वास्तुकला
वास्तुकला का एक वर्ग जो स्थनीय आवश्यक्तओ, निर्मान सामग्री ओर स्थानीय परम्परओन पर आधारित हो।
वास्तुकला की उस शैली को स्थानिक वास्तुकला या देशी वास्तुकला (Vernacular architecture) कहते हैं जो स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप डिजाइन की गयी हो, जिसमें स्थानीय रूप से उपलब्ध निर्माण सामग्री का उपयोग किया गया हो तथा जो स्थानीय प्रम्पराओं को प्रतिबिम्बित करती हो। स्थानीय वास्तुकला, मूल रूप में, किसी स्कूल/कॉलेज में वास्तुविद्या की शिक्षा पाये वास्तुविदों द्वारा नहीं बनायी जाती थी बल्कि स्थानीय निर्माताओं के डिजाइन कौशल और परम्पराओं पर आधारित होती थी। किन्तु १९वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से बहुत से व्यावसायिक वास्तुविदों ने स्थानिक वास्तुकला के विभिन्न रूपों पर कार्य किया है।