स्पित्जर पाण्डुलिपि (Spitzer Manuscript / अनुमानित पहली-दूसरी शताब्दी ई) संस्कृत की अब तक प्राप्त पाण्डुलिपियों में सबसे पुरानी पाण्डुलिपि है। यह १९०६ में जर्मनी की एक अन्वेषण दल को किज़िल (मध्य एशिया) में मिली थी जो रेशम मार्ग पर स्थित है। इस दल के नेता डॉ मोरित्ज स्पित्ज़र थे। यह बहुत ही तितर-बितर और खण्डित रूप में है। यह पाण्डुलिपि वर्तमान में बर्लिन के राज्य पुस्तकालय में संरक्षित है।

स्पित्जर पाण्डुलिपि का 383 संख्या का पत्र ; इस ताड़पत्र के दोनों ओर संस्कृत में लिखा गया है।

यह ग्रन्थ अपने आप में इस दृष्टि से अनन्य है कि इस ग्रन्थ से मिलता-जुलता कोई अन्य ग्रन्थ अभी तक नहीं मिला है तथा यह ग्रन्थ चीन/तिब्बत/जापान में भी अनुवाद के रूप में नहीं पहुँचा है, जैसा कि अन्य प्राचीन बौद्ध ग्रन्थ पहुंचे थे।