स्पॉट फिक्सिंग अथवा स्पॉट स्थिरण खेलों में अवैध कार्यों के लिए काम में लिया जाता है जहाँ खेल का एक विशेष भाग स्थिर कर दिया जाता है। उदाहरण के लिए क्रिकेट के खेल में नो बॉल या वाइड गेंद या विकेट पतन का समय निर्धारण अथवा फुटबॉल के खेल में प्रथम समय गेंद को बाहर से अन्दर फेंकने का समय या बिना गोल के ही गोल रेखा को पार करना जैसे छोटे कार्य भी सम्मिलित हैं। यह आवश्यक नहीं की स्पॉट स्थिरण खेल के परिणाम को प्रभवित करे लेकिन फिर भी वे बुकी से पैसे कमा लेते हैं। यह शब्द कुछ वर्षों पूर्व ही चर्चा में आया।[1] इस प्रकार यह मैच स्थिरण से अलग है जहाँ पूरा खेल ही पूर्व निर्धारित होता है अथवा भ्रष्ट खिलाड़ी (अथवा आधिकारी) एक हाशिया रखते हैं जिससे की सामने वाली टीम आसानी से जीत सके। स्पॉट स्थिरण को पहचानना मैच स्थिरण से कहीं मुश्किल है।

उदाहरण संपादित करें

फुटबॉल संपादित करें

फुटबॉल जगत में स्थिरण का महाजाल कथित तौर पर यूरोपिय चैंपियनशिप और चैंपियंस लीग में आया। यूरोपीय पुलिस बल यूरोपोल, यूरोपीय एंटी क्राइम एजेंसी और नेशनल प्रोसीक्यूटर्स की संयुक्त जांच में खुलासा हुआ है कि 2008 से 2011 के बीच क्लब और राष्ट्रीय स्तर पर खेले गए 680 फुटबॉल मैच फिक्स थे। हालांकि फीफा अध्यक्ष ने इन बातों की पुष्टी नहीं की थी।[2][3]

क्रिकेट संपादित करें

सन् २०१० में पाकिस्तान क्रिकेट टीम के इंगलेण्ड दौरे के दौरान आया। यहाँ तथाकथित आरोप लगाया गया था। उस समय आरोप लगा था कि दो पाकिस्तानी खिलाड़ी मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर ने एक विशिष्ट समय पर तत्कालीन कप्तान सलमान बट्ट के इशारों पर नो बॉल फेंकी। परिणामस्वरूप सलमान बट्ट को आजीवन, आसिफ को सात वर्ष के लिए और आमिर को पाँच वर्षों के लिए प्रतिबन्धित कर दिया गया।[4]

क्रिकेट में स्पॉट स्थिरण का एक उदाहरण भारत में इंडियन प्रीमियर लीग के पांचवे संस्करण (२०१२) में देखने को मिला। इसके लिए पांच खिलाड़ियों को निलम्बित किया गया। ये पांच खिलाड़ी मोहनिश मिश्रा, शलभ श्रीवास्तव, टी पी सुधिन्द्र, हरमीत सिंह और अभिनव बाली हैं।[5]

क्रिकेट में ही स्पॉट स्थिरण का एक और उदाहरण भारत में इंडियन प्रीमियर लीग के छठे संस्करण (२०१३) में मिला, इसमें शुरूआत में तीन खिलाड़ियों को पकड़ा गया लेकिन बाद में धीरे-धीरे पत्ते खुलते जा रहे हैं और इसमें और खिलाड़ियों के शामिल होने से भी नकारा नहीं जा सकता। सबसे पहले दोषी पाये गये खिलाड़ी शान्ताकुमारन श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजित चंदीला हैं।[1][6]

ये भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "क्या है स्पॉट फिक्सिंग और मैच फिक्सिंग में अंतर?". आज तक. 16 मई 2013. मूल से 5 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2013.
  2. "फुटबॉल में फिक्सिंग के मायाजाल का हुआ भंडाफोड़". अमर उजाला. 5 फ़रवरी 2013. मूल से 10 फ़रवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2013.
  3. "फुटबॉल के 680 मैचों पर फिक्सिंग का साया!". जी समाचार (Zee News). 6 फ़रवरी 2013. मूल से 12 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2013.
  4. "पाकिस्तान मैच-फिक्सिंग क्लैम: व्हॉट इज स्पॉट फिक्सिंग?". लन्दन: टेलीग्राफ. 2010-08-29. मूल से 6 जुलाई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-08-30.
  5. क्रिकेटकंट्री सदस्य (15 मई 2012). "बीसीसीआई ने स्पॉट फिक्सिंग के आरोपी पांच खिलाड़ी निलंबित". क्रिकेटकंट्री.कॉम. मूल से 19 मई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2013.
  6. "स्पॉट फिक्सिंग: श्रीसंत के दोस्त समेत चार और गिरफ्तार". जी समाचार (Zee News). 29 मई 2013. मूल से 12 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2013.