स्वराज विश्वविद्यालय

स्वराज विश्वविद्यालय पुणे स्थित एक शिक्षा संस्थान है। इसका आरम्भ २०१० में हुआ था। स्वराज युनिवर्सिटी शिक्षा, जीवन और प्रकृति के बीच के गहरे संबंध को समझने का एक प्रयास है। स्वराज युनिवर्सिटी का महत्वपूर्ण स्तंभ हैं: स्व-रचित शिक्षा यानि स्वयं अपनी शिक्षा की रूपरेखा व नक़्शा स्वयं तैयार करना। साथ ही स्वराज सामाजिक न्याय, पर्यावरण स्थिरता, और स्वास्थ्यकारी जीवन को देखने और जीने का अलग नज़रिया मुहैया करता है।

स्वराज विश्वविद्यालय
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नई सोच का एक नया दोर।

स्वराज युनिवर्सिटी में छात्र स्वयं को 'खोजी' कहते हैं क्योंकि 'छात्र' शब्द के साथ जुड़े भय से परे यहाँ जीवन और शिक्षा की ओर दृष्टिकोण अधिक विस्तृत है। सीखने की प्रक्रिया और समय-सारणी 'खोजी' और 'प्रशिक्षक' मिलकर तैयार करते हैं। स्वराज युनिवर्सिटी एक अद्वितीय शैक्षणिक पहल है।

परिचय संपादित करें

खेती, फिल्म बनाना, सोलर उत्पादन, लेखन, नाटक, नृत्य कला, शिक्षण, प्रकृति संरक्षण, आदि उन कई क्षेत्रों में से कुछ कुछ क्षेत्र हैं जिस में मौजूद खोजियों की खोज रुचि है। स्वराज युनिवर्सिटी के बड़े परिवार में कई लोग हैं जिन्हें अपने संबंधित क्षेत्रों में अच्छा ज्ञान है और जो खोजी के उपदेशक, गुरु, मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं। कक्षाओं और किताबी ज्ञान तक ही सीमित रहने की बजाय, खोजी अपने गुरु के काम में शामिल होते हैं और उनके काम, तजुर्बे और अनुभव से सीखते हैं। इस प्रक्रिया में वे अनुभव लेते हैं और वास्तविक जीवन की कई स्थितियों से निपटना भी सीखते हैं। गलतियाँ करना, उन गलतियों से सीखना और दूसरों से प्रतिक्रिया स्वीकार करना स्वराज युनिवर्सिटी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण भाग है। खोजी अपने शौक़ के बारे में पता लगाते हैं, उनके बारे में सीखते हैं और अपनी ही गति से उसे अपने पेशे में बदलते हैं।

दो साल के इस अंतराल की कार्यक्रम संरचना में पहले साल में तीन बार और दूसरे साल में छह बार 3 से 5 हफ्तों की बैठक होती है जब वो विभिन्न कार्यशालाओं और अनुभवी लोगों से सीखते हैं जिसके बाद हर बार 2 महीने का प्रशिक्षण समय होता है जहां खोजी को अपने गुरु, प्रशिक्षक, घर के सदस्य, मित्र आदि के साथ बातचीत के अवसर और चिंतन के अलावा वास्तविक अनुभव करने का मौका भी मिलता है।

यात्रा स्वराज प्रक्रिया के प्रमुख भागों में से एक है। हम इसे अध्यन की यात्रा कहते हैं और हर यात्रा का उद्देश्य अलग होता है।पिछले चार वर्षों में हम पुणे, अहमदाबाद, पालमपुर और चंडीगढ़ गए और विभिन्न वर्ग के लोगों से मुलाकात की - कलाकारों, कार्यकर्ताओं, समुदायों और प्रतिबद्ध संगठनों से - जो अपने क्षेत्र के काम में समर्पित हैं। अध्यन की यात्रा का दूसरा रूप साइकिल यात्रा है जिसमें खोजी साइकिल पर 5-7 दिन की यात्रा बिना किसी पैसे और बिना किसी यंत्र के करते हैं और रास्ते में ग्रामीण लोगों से मिलते हैं, उनके साथ काम करते हैं और उस ज्ञान के बारे में जानने की कोशिश करते हैं जो शहरीकरण और औद्योगीकरण की वजह से समाप्त हो रहा है।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें