स्वामी अद्भुतानन्द
स्वामी अद्भुतानन्द (? - 28 अप्रेल,1920) श्रीरामकृष्ण के सन्यासी शिष्योँ में से एक थे। उनका सन्यासपूर्व नाम था 'राखतुराम'। रामकृष्ण भक्त मंडली में वे 'लाटू महाराज' के नाम से जाने जाते हैं।
जीवन
संपादित करेंजन्म और बचपन
संपादित करेंअद्भुतानन्द का जन्म बिहार के छपरा जिला में एक गरीव परिवार में हुआ। पाँच वर्ष की उम्र में अपने मातापिता के देहान्त के बाद वे अनाथ हो गये। कर्म संस्थान के लिए वे कोलकाता पहुँचे और रामकृष्ण के गृही भक्त रामचन्द्र दत्त के परिवार में नौकर के रूप में काम करने लगे।
श्रीरामकृष्ण से भेंट
संपादित करेंलाठू अपने मालिक रामचन्द्र के साथ 1880 में पहली बार दक्षिणेश्वर आए। इसके बाद वे श्रीरामकृष्ण के सेवक बन गये। श्रीरामकृष्ण के निकट आनेबाले सन्यासी शिष्योँ में लाटू प्रथम थे।
श्यामपुकुर और काशीपुर में
संपादित करेंश्रीरामकृष्ण के गले की बीमारी होने के बाद उन्हें श्यामपुकुर और बाद में काशीपुर लाया गया। लाटू अपने गुरु की सेवा के साथ-साथ साधना में लगे रहते थे।
सन्यास जीवन
संपादित करेंश्रीरामकृष्ण के मृत्यु के बाद वे शारदा देवी के साथ तीर्थ दर्शन करने चले गये। कोलकाता लोटने के बाद वे सन्यास ग्रहण किये और वराहनगर मठ में रहने लगे। 1895 ई. में वे भुवनेश्वर और पुरी भ्रमण करने गये। स्वामी विवेकानन्द के देहान्त के बाद वे बलराम मंदिर में 1912 तक रहे।
अंतिम जीवन
संपादित करेंलाटू महाराज ने अपना अंतिम जीवन काशी में व्यतीत किया। 28 अप्रैल 1920 में उनका देहान्त हुआ।
उपदेश
संपादित करेंआगे अध्ययन के लिए
संपादित करें- Swami Chetanananda (1980) Swami Adbhutananda :His teachings and reminiscences.Vedanta Society of St. Louis.
- Swami Chetanananda(1980) How a Shepherd Boy Became a Saint.Vedanta Society of St. Louis. ISBN
978-0-916356-59-0.
- Swami Gambhirananda (1967)The Apostles of Shri Ramakrishna Advaita Ashrama
बाहरी कड़ियाँ
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