स्वामी कुमारानन्द
स्वामी कुमारानन्द (16 अप्रैल, 1889 – 29 दिसम्बर 1971) भारत के एक राजनेता थे। उनका मूल नाम द्विजेन्द्र कुमार नाग था। पहले वे कांग्रेसी थे जो बाद में साम्यवादी बन गए थे। राजपुताना और मध्य भारत में सामयवादी आन्दोलन के प्रसार का मुख्य श्रेय उनको ही है। देश की आजादी के लिए कुमारानन्द ने करीब तीस साल जेल में बिताए (स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात)।
कुमारानन्द का जन्म रंगून के एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता रंगून के कमिशनर थे। उनकी उच्च शिक्षा कोलकाता और ढाका में हुई। उत्कल के स्वामी सत्यानन्द से मुलाकात के बात वे सन १९०५ में क्रान्तिकारी गतिविधियों में सम्मिलित हो गये। सन १९१० में वे चीन भी गये जहाँ उन्होंने सुन यात-सेन से मुलाकात की। चीन मु कुछ समय ठहरने के बाद जब वे कोलकाता वापस आये तो वहाँ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। नौ वर्ष तक वे जेल में ही रहे।
महात्मा गांधी से मुलाकात के बाद कुमारानन्द सन १९२० के आस-आस ब्यावर आ गये। वहाँ उन्होंने ब्रितानी शासन के विरुद्ध प्रतिरोध आन्दोलन का गठन किया। सन १९२१ में इन्दुलाल याज्ञिक के साथ मिलकर उन्होंने ब्यावर में एक किसान सम्मेलन किया।