स्वेज़ नहर
स्वेज नहर (Suez canal) लाल सागर और भूमध्य सागर को संबंद्ध करने वाली एक नहर है। सन् 1858 में एक फ्रांसीसी इंजीनियर फर्डीनेण्ड की देखरेख में स्वेज नहर का निर्माण शुरु हुआ था। यह नहर आज 168 किमी लंबी, 60 मी चौड़ी और औसत गहरी 16.5 मी है। दस वर्षों में बनकर यह तैयार हो गई थी। सन् 1869 में यह नहर यातायात के लिए खुल गई थी। पहले केवल दिन में ही जहाज नहर को पार करते थे पर 1887 ई. से रात में भी पार होने लगे। 1866 ई. में इस नहर के पार होने में 36 घंटे लगते थे पर आज 18 घंटे से कम समय ही लगता है। यह वर्तमान में मिस्र देश के नियंत्रण में है। इस नहर का चुंगी कर बहुत अधिक है। इस नहर की लंबाई पनामा नहर की लंबाई से दुगुनी होने के बाद भी इसमें पनामा नहर के खर्च का 1/3 धन ही लगा है।
स्वेज़ नहर | |
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अंतरिक्ष से स्वेज़ नहर, विशाल खारी झील इसके मध्य में | |
विशिष्टताएँ | |
Length | 193.3 कि॰मी॰ (120.1 मील) |
Maximum boat beam | 77.5 मी॰ (254 फीट 3 इंच) |
Minimum boat draft | 20.1 मी॰ (66 फीट) |
Minimum boat air draft | 68 मी॰ (223 फीट) |
जलपाश | None |
इतिहास | |
मूल स्वामी | स्वेज़ कैनाल कंपनी (Compagnie Universelle du Canal Maritime de Suez) |
Geography | |
Start point | पोर्ट सईद |
End point | स्वेज़ पोर्ट |
इतिहाससंपादित करें
इस नहर का प्रबंध पहले "स्वेज कैनाल कंपनी" करती थी जिसके आधे शेयर फ्रांस के थे और आधे शेयर तुर्की, मिस्र और अन्य अरब देशों के थे। बाद में मिस्र और तुर्की के शेयरों को अंग्रेजों ने खरीद लिया। 1888 ई. में एक अंतरराष्ट्रीय उपसंधि के अनुसार यह नहर युद्ध और शांति दोनों कालों में सब राष्ट्रों के जहाजों के लिए बिना रोकटोक समान रूप से आने-जाने के लिए खुली थी। ऐसा समझौता था कि इस नहर पर किसी एक राष्ट्र की सेना नहीं रहेगी। किन्तु अंग्रेजों ने 1904 ई. में इसे तोड़ दिया और नहर पर अपनी सेनाएँ बैठा दीं और उन्हीं राष्ट्रों के जहाजों के आने-जाने की अनुमति दी जाने लगी जो युद्धरत नहीं थे। 1947 ई. में स्वेज कैनाल कंपनी और मिस्र सरकार के बीच यह निश्चय हुआ कि कंपनी के साथ 99 वर्ष का पट्टा रद्द हो जाने पर इसका स्वामित्व मिस्र सरकार के हाथ आ जाएगा। 1951 ई. में मिस्र में ग्रेट ब्रिटेन के विरुद्ध आंदोलन छिड़ा और अंत में 1954 ई. में एक करार हुआ जिसके अनुसार ब्रिटेन की सरकार कुछ शर्तों के साथ नहर से अपनी सेना हटा लेने पर राजी हो गई। पीछे मिस्र ने इस नहर का 1956 में राष्ट्रीयकरण कर इसे अपने पूरे अधिकार में कर लिया।
उपयोगितासंपादित करें
इस नहर के कारण यूरोप से एशिया और पूर्वी अफ्रीका का सरल और सीधा मार्ग खुल गया और इससे लगभग 6,000 मील की दूरी की बचत हो गई। इससे अनेक देशों, पूर्वी अफ्रीका, ईरान, अरब, भारत, पाकिस्तान, सुदूर पूर्व एशिया के देशों, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों के साथ व्यापार में बड़ी सुविधा हो गई है और व्यापार बहुत बढ़ गया है।
यातायातसंपादित करें
स्वेज नहर में यातायात कॉन्वॉय (सार्थवाह) के रूप में होता है। प्रतिदिन तीन कॉन्वॉय चलते हैं, दो उत्तर से दक्षिण तथा एक दक्षिण से उत्तर की तरफ। जलयानों की गति 11 से 16 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच होती है। इस नहर की यात्रा का समय 12 से 16 घंटों का होता है।
वर्ष | जलयानों की संख्या | नेट टनेज (1000 टन में) |
ढोया गया माल (1000 टन में) |
पथकर (टोल) (मिलियन अमेरिकी डॉलर ) |
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1975[1] | 5.579 | 50.441 | n.b. | |
1980 | 20.795 | 281.305 | n.b. | |
1985 | 19.791 | 352.579 | n.b. | |
1990 | 17.664 | 410.322 | n.b. | |
1995 | 15.051 | 360.372 | n.b. | |
2000 | 14.142 | 439.041 | n.b. | |
2001 | 13.986 | 456.113 | 372.400 | |
2002 | 13.447 | 444.786 | 368.800 | |
2003 | 15.667 | 549.381 | 457.900 | |
2004 | 16.850 | 621.253 | 521.219 | 3.077,5 |
2005 | 18.224 | 671.951 | 571.105 | 3.453,7 |
2006 | 18.664 | 742.708 | 628.635 | 3.815,8 |
2007 | 20.384 | 848.163 | 710.098 | 4.601,7 |
2008 | 21.415 | 910.059 | 722.984 | 5.381,9 |
2009 | 17.228 | 734.450 | 559.245 | 4.289,5 |
2010 | 17.993 | 846.389 | 646.064 | 4.768,9 |
2011 | 17.799 | 928.880 | 691.800 | n.b. |
2012 | 17.225 | 928.452 | 739.911 | n.b. |
स्वेज नहर का जलमार्गसंपादित करें
स्वेज नहर जलमार्ग में जलयान 12 से 15 किमी प्रति घंटे की गति से चलते है क्योंकि तेज गति से चलने पर नहर के किनारे टूटने का भय बना रहता है। इस नहर को पार करने में सामान्यत: 12 घंटे का समय लगता है। इस नहर से एक साथ दो जलयान पार नही हो सकते हैं लेकिन, जब एक जलयान निकलता है तो दूसरे जलयान को गोदी में बाँध दिया जाता है इस प्रकार इस नहर से होकर एक दिन मे अधिक से अधिक 24 जलयानो का आवागमन हो सकता है।
- स्वेज नहर बन जाने से यूरोप एवं सुदूर पूर्व के देशों के मध्य दूरी काफी कम हो गयी है। जैसे की लिवरपूल से मुम्बई आने में 7250 किमी तथा हांगकांग पहुँचने मे 4500 किमी; न्यूयार्क से मुम्बई पहुँचने मे 4500 किमी की दूरी कम हो जाती है। इस नहर के कारण ही भारत तथा यूरोपीय देशों के बीच व्यापारिक सम्बन्ध प्रगाढ़ हुए हैं।
स्वेज नहर से व्यापारसंपादित करें
स्वेज नहर मार्ग से फारस की खाड़ी के देशों से खनिज तेल, भारत तथा अन्य एशियाई देशों से अभ्रक, लौह-अयस्क, मैंगनीज़, चाय, कहवा, जूट, रबड़, कपास, ऊन, मसाले, चीनी, चमड़ा, खालें, सागवान की लकड़ी, सूती वस्त्र, हस्तशिल्प आदि पश्चिमी यूरोपीय देशों तथा उत्तरी अमेरिका को भेजी जाती है तथा इन देशों से रासायनिक पदार्थ, इस्पात, मशीनों, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण,औषधियों, मोटर गाड़ियों, वैज्ञानिक उपकरणों आदि का आयात किया जाता है।
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
बाहरी कड़ियाँसंपादित करें
- निर्माण के 150 वर्ष बाद भी राजनीतिक मुद्दा है स्वेज नहर
- Suez Canal Official Website
- Darius the Great's Suez Inscriptions
- Constantinople Convention of the Suez Canal, 1888
- Encyclopedia of the Orient: Suez Canal* Entrance of the Suez Canal - 1882
- Plan of the Suez Canal - 1882
- Suez Canal Container Terminal at Port Said
- Suez Canal Photos
- Opening of the Suez Canal, 1869
- Bibliography on Water Resources and International Law Peace Palace Library
- Suez Canal article on Howstuffworks
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ Kanaal gedurende het jaar heropend voor verkeer