हनुमान मंदिर, प्रयागराज

हनुमान मंदिर संगम एवम किला के निकट प्रयागराज में गंगा यमुना के तट के निकट बड़े हनुमान जी के मंदिर के नाम से ख्याति रखता है। संगम नगरी में इन्‍हें बड़े हनुमानजी, किले वाले हनुमानजी, लेटे हनुमानजी और बांध वाले हनुमानजी के नाम से जाना जाता है।[1] यहां जमीन से नीचे हनुमानजी की मूर्ति लेटे हुए अवस्था मे है तथा हनुमान जी अपनी एक भुजा से अहिरावण और दूसरी भुजा से दूसरे राक्षस को दबाये हुए अवस्था में हैं। यह एकमात्र मंदिर है जिसमें हनुमान जी लेटी हुई मुद्रा में हैं। यहां पर स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा 20 फीट लम्बी है। [2]यह मंदिर हिन्दुओ के लिए अति श्रद्धा का केंद्र और दर्शनीय है। यहां मंगलवार और शनिवार को भारी भीड़ उमड़ती है। संगम में स्नान करनेवाले श्रद्धालु यहां दर्शन करना नहीं भूलते। ऐसा कहा जाता है कि गंगा का पानी, भगवान हनुमान जी का स्पर्श करता है और उसके बाद गंगा का पानी उतर जाता है। गंगा और यमुना में पानी बढ़ने पर लोग दूर-दूर से, यहां यह नजारा देखने आते है। मंदिर के गर्भगृह में हनुमान जी की मूर्ति स्थपित है जो मंदिर के 8.10 फीट नीचे है। [3]

टस से मस नहीं हुई हनुमान जी की प्रतिमा

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बात यह 1582 की है, जब, मगध, अवध और बंगाल सहित पूर्वी भारत में चल रहे विद्रोह पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अकबर एक जगह की तलाश कर रहा था। बादशाह अकबर के विशेषज्ञ अपनी पूरी कोशिश कर चुके थे।[4] मगर हनुमान जी की प्रतिमा टस से मस नहीं हो रही थी। इस जद्दोजहद के बाद हर एक इंसान ने अपनी हार मान ली थी। बादशाह अकबर भी हनुमान जी की महिमा देखकर हैरान रह गया था और नतमस्तक हो गया था। जिसके बाद बादशाह अकबर ने अपने किले की दीवार मंदिर के पीछे खड़ी करी। अकबर ने कई जगह की जमीन हनुमान जी के लिए समर्पित की थी।[5]

  1. "संगम के किनारे आखिर क्‍यों लेटे हैं हनुमान, जानिए क्‍या है इस मंदिर का रहस्‍य?". अभिगमन तिथि 5 मई 2022.
  2. "प्रयागराज में आराम की मुद्रा में लेटे हनुमानजी का है भव्य मंदिर". अभिगमन तिथि 3 जनवरी 2019.
  3. "हनुमान मंदिर प्रयागराज". अभिगमन तिथि 26 अप्रैल 2022.
  4. "प्रयागराज का लेटे हनुमानजी मंदिर, जिसके आसपास किला बनवाना चाहता था अकबर लेकिन..." अभिगमन तिथि 22 फरवरी 2021.
  5. "जब हनुमान जी के आगे अकबर हो गया था नतमस्‍तक, बेहद रोचक और दिलचस्प है प्रयागराज के इस मंदिर की कहानी". अभिगमन तिथि 27 सितंबर 2021.