हमज़ा अलवी

पाकिस्तानी मार्क्सवादी समाजशास्त्री और अंग्रेज़ी और उर्दू लेखक

हमजा अल्वी (10 अप्रैल 1921 - 1 दिसंबर 2003) एक पाकिस्तानी मार्क्सवादी अकादमिक समाजशास्त्री और कार्यकर्ता थे।[1] वे अपने "अतिविकसित राज्य" (overdeveloped state) के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं, जिससे उन्होंने पाकिस्तान की तत्कालीन राज्य-व्यवस्था को समझाने का प्रयत्न किया था।

उनका तर्क यह था कि पाकिस्तान, जिसपर पहले अंग्रेज़ों का राज था, को एक विरासत के तौर पर एक बनी-बनायी राजव्यवस्था मिल गयी, जो उसके लोगों ने स्वयं अपने राजनैतिक प्रयत्नों से नहीं स्थापित की थी। अर्थात् जैसे वहाँ की पुलिस, प्रशासनिक सेवा इत्यादि अंग्रेज़ों की देन थे, और आज़ादी के बाद वहाँ की सरकार ने उन्हें हुबहू अपने सिस्टम में मिला लिया। अतः अब पाकिस्तान के पास एक ऐसा समाज था, जिसे विकसित देशों की तर्ज़ पर लोकतांत्रिक अनुभव तो नहीं था, लेकिन उसके पास उन देशों की तर्ज़ पर विकसित सिविल सर्विस, पुलिस और सेना थी।

अतः एक ऐसा देश, जिसका समाज लोकतांत्रिक रूप से विकसित न हो, किंतु उसके पास अन्य लोकतंत्रों की तरह अपना ख़ुद का संविधान, संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था, गहरी पैठ वाली आर्मी, पुलिस और सिविल सर्विस हों- ऐसा देश अतिविकसित है। चूँकि भारत और पाकिस्तान दोनों समान हालातों में और लगभग एक ही साथ आज़ाद हुए थे, और दोनों का ही अंग्रेज़ों की ग़ुलामी का इतिहास था, इसलिए अलवी का यह सिद्धांत भारत पर भी सटीक बैठता है।

अतिविकसित राज्य अविकसित या विकसित राज्यों की तुलना में अधिक शोषणकारी होते हैं, क्योंकि यहाँ विकसित राज्यों की तरह सेना, पुलिस और सिविल सर्विस जैसी ताक़तवर संस्थाएँ तो हैं लेकिन लोग विकसित राज्यों की तरह लोकतांत्रिक मानसिकता वाले नहीं हैं। अविकसित राज्यों की तरह ऐसे राज्यों में लोगों को अपने अधिकारों की समझ नहीं होती, जिस कारण उनका शोषण और भी बुरी तरह से होता है।

इसके अलावा अलवी ने भारत के विभाजन को लेकर यह तर्क भी दिया था कि इसके पीछे ब्रिटिश राज के मुस्लिम सिविल सेवकों ने का बड़ा हाथ था, क्योंकि उन्हें ऐसा प्रतीत होता था कि अविभाजित भारत में उन्हें उतना वर्चस्व प्राप्त नहीं हो पाता।[2]

चयनित प्रकाशन संपादित करें

उनके प्रकाशनों में निम्नलिखित शामिल हैं: [3]

  • जागीरदारी और समराज, फिक्शन हाउस लैहर (उर्दू)
  • तखलेक-ए-पाकिस्तान, फिक्शन हाउस लहार (उर्दू)
  • पाकिस्तान एक रियासत का बोहराँ, फिक्शन हाउस लैहर (उर्दू)
  • अलवी, हमजा (1965), 'पीजैन्ट ऐन्ड रिवोलूशन', समाजवादी रजिस्टर, पीपी।   241-77
  • अल्वी, हमजा और शानिन, तेओडोर (2003), "इन्ट्रोडक्शन टू सोशियालोजी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज़" , मासिक समीक्षा प्रेस [4]
  • अलवी, एच (1982), 'कैपिटलिज्म ऐण्ड कोलोनियल प्रोडक्शन', लंदन: Croom Helm।
  • अल्वी, एच, और हैरिस, जे (1989)। दक्षिण एशिया। न्यूयॉर्क: मासिक समीक्षा प्रेस।
  • अल्वी, एच।, और हैरिस, जे। (1989)। 'सोसिआलोजी ऑफ डेवेलपिंग सोसायटीज' : दक्षिण एशिया। बेसिंगस्टोक: मैकमिलन एजुकेशन।
  • हॉलिडे, फ्रेड एंड अलावी, हमजा (1988) स्टेट एंड आइडियोलॉजी इन मिडिल ईस्ट एंड पाकिस्तान, मंथली रिव्यू प्रेस

संदर्भ संपादित करें

  1. "Hamza Alavi". The Guardian.com. 19 December 2003. मूल से 27 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 November 2011.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 8 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 अगस्त 2019.
  3. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  4. R S Pannu (1985) , Third World Quarterly, Jan., vol. 7, no. 1, p. 162-164