हम हिन्दू नहीं
हम हिन्दू नहीं (पंजाबी: ਹਮ ਹਿੰਦੂ ਨਹੀਂ) भाई कान्ह सिंह नाभा द्वारा लिखी पंजाबी भाषा की एक पुस्तक है।[1][2][3] पुस्तक का मूल विषय हिन्दू एवं सिक्ख धर्मशास्र के अन्तर पर आधारित है। उन्नीसवीं सदी के दौरान सिख धर्म को हिन्दू धर्म का हिस्सा माना जा रहा था। इस कारण से नाभा ने यह पुस्तक लिखी।[4] 1898 को पुस्तक पहली बार छपी गई थी। 30 जून, 1899 को यह पुस्तक नंबर 447 के तहत पर पंजाब गज़ेट में दर्ज की गई।[5] पुस्तक में हिन्दू और सिख के बीच प्रशन-उत्तर और जगह-जगह पर वेद, पुराण, दसम ग्रंथ और गुरु ग्रंथ साहिब से कई सन्दर्भ दिये गये हैं।[3]
लेखक | कान्ह सिंह नाभा |
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मूल शीर्षक | ਹਮ ਹਿੰਦੂ ਨਹੀਂ |
भाषा | pa |
विषय | सिख पहचान पर आलोचना |
प्रकाशन तिथि | 1898 (पहली छपाई) |
प्रकाशन स्थान | ब्रितानी भारत |
मीडिया प्रकार | प्रिन्ट |
पृष्ठ | 185 (चौथी छपाई) |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Ham Hindu Nahin". Open Library. दिसम्बर 11, 2009. मूल से 5 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि अगस्त 12, 2012.
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में बाहरी कड़ी (मदद) - ↑ "Hum Hindu Nahin". Panjab Digital Library. मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ਅਗਸਤ 12, 2012.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद);|publisher=
में बाहरी कड़ी (मदद) - ↑ अ आ कान्ह सिंह नाभा (2011). ਹਮ ਹਿੰਦੂ ਨਹੀਂ (पंजाबी में). अमृतसर: सिंह ब्रदर्ज़. पृ॰ 128. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7205-051-1.
- ↑ "ਕੀ 'ਹਮ ਹਿੰਦੂ ਨਹੀਂ' ਕਿਤਾਬ ਵੰਡੀ ਪਾਉਂਦੀ ਹੈ?". अमृतसर टाइम्ज़. अभिगमन तिथि अगस्त 12, 2012.
- ↑ "Ham Hindu Nahin" (अंग्रेज़ी में). TheSikhEncyclopedia. मूल से 5 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि अगस्त 12, 2012.
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में बाहरी कड़ी (मदद)