हरगोविन्द पन्त
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हरगोविन्द पन्त - हरगोविंद पंत का जन्म 19 मई 1885 को चितई गांव अल्मोड़ा (तत्कालीन संयुक्त प्रांत वर्तमान उत्तराखंड) में हुआ था।
हरगोविन्द पन्त | |
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कार्यकाल 1952 से 1957 | |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
कुमाऊं क्षेत्र में कुलीन ब्राह्मणों द्वारा हल न चलाने की प्रथा को पंत जी ने 1928 में बागेश्वर में स्वयं हल चलाकर तोड़ा था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वे 1930, 1932 और 1940 में अनेकों बार जेल गए ,
पंत जी को अल्मोड़ा कांग्रेस की रीढ़ भी कहा जाता है भारत छोड़ो आंदोलन के समय अल्मोड़ा में सबसे पहले इन्हीं को नजरबंद किया गया था । भारत के उत्तर प्रदेश की प्रथम विधानसभा में विधायक रहे। 1952 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा जिले के 12 - रानीखेत विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। [1]
पंडित हर गोविन्द पन्त देश की संविधान सभा के सदस्य थे । वे एक स्वतंत्रता सेनानी थे । वे उत्तर प्रदेश विधान सभा के पहले उप सभापति भी रहे तथा वे अल्मोड़ा से सांसद भी रहे । उनके द्वारा कुमाऊ परिषद् का गठन किया गया था ।
हरगोविंद पंत जी का निधन मई 1957 में हुआ ।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "उत्तर प्रदेश विधान सभा". मूल से 10 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
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