हरिगीतिका छंद
‘हरिगीतिका’ एक मात्रिक छन्द है जिसके प्रत्येक चरण में 16 और 12 के विराम से कुल 28 मात्रा होती हैं। साथ ही साथ, इस छन्द के नियमानुसार हर चरण के अंत में लघु गुरु (।ऽ) होते हैं। कई दफ़ा, विशेष रोचकता के लिए, कविजन इसके अंत में रगण (ऽ।ऽ) भी रखते हैं, लेकिन यह कोई विशेष नियम नहीं है। 28 मात्रा वाली इस श्रेणी में शामिल एक अन्य मात्रिक छन्द है ‘सार’ छन्द।
उदाहरण—
ये दारिका परिचारिका करि, पालिबी करुणामयी।
अपराध छमियो बोलि पठये, बहुत हौं ढीठी दयी॥
पुनि भानुकुलभूषण सकल सन, मान विधि समधी किये।
कहि जात नहिं बिनती परस्पर, प्रेम परिपूरण हिये॥