हरिदत्त

भारतीय खगोलशास्त्री-गणितज्ञ

हरिदत्त (683 ई) भारत के ज्योतिषी एवं गणितज्ञ थे। उन्होने खगोलीय गणनाएँ करने की 'परहित' नामक विधि विकसित की।

हरिदत्त के पिता का नाम हरिजी था जो मेवाड़ के जगत सिंह (१६२८ - १६५२) के दरबारी थे।

उनके रचित तीन ग्रन्थ थे- 'ग्रहचारनिबन्धन', 'महामार्गनिबन्धन' तथा 'जगद्भूषण'। महामार्गनिबन्धन अभी प्राप्य नहीं है। ग्रहचारनिबन्धन में 'परहित' पद्धति का वर्णन है। जगद्भूषण एक सारणी-ग्रन्थ है। इसमें पाँच अध्याय हैं। इन अध्यायों के अन्त में बड़े-बड़े सारणी (table) हैं। इन सारणियों का उपयोग पञ्चाङ्ग बनाने में किया जाता था। इन सारणियों में हजारों पंक्तियों के संख्यात्मक आंकडे दिये हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अन्त्यन्त बृहद आकार की सारणियों के बावजूद 'जगद्भूषण' बहुत प्रसिद्ध ग्रन्थ था क्योंकि इसकी कम से कम २६ पाण्डुलिपियाँ प्राप्त हुईं हैं।[1]

इन्हें भी देखें

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  1. The Table Text Jagadbhūṣaṇa of Haridatta : The First Chapter on the Sun and the Moon