हरियाणवी भाषा

(हरियाणवी से अनुप्रेषित)

हरियाणवी उत्तर भारत में बोली जाने वाली भाषाओं का एक समूह है। इसे भाषा नहीं कहा जा सकता। हरियाणवी में कई लहजे हैं, साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में बोलियों की भिन्नता है। हरियाणा के उत्तरी भाग में बोली जाने वाली हरियाणवी थोड़ा सरल होती है तथा हिन्दी भाषी व्यक्ति इसे थोड़ा-बहुत समझ सकते हैं दक्षिण हरियाणा में बोली जाने वाली बोली को ठेठ हरियाणवी कहा जाता है। यह कई बार उत्तर हरियाणा वालों को भी समझ में नहीं आती ।यमुनानगर,अंबाला,पंचकुला,कुरूक्षेत्र,करनाल आदि उत्तर प्रदेश के कुछ जिलो मे एक ही बोली प्रचलित है जो कौरवी हरियाणवी है मध्य और दक्षिण हरियाणा की बोली बांगरू है। कौरवी हरियाणवी बांगरू से ज्यादा शुद्धतम हिंदी का रूप है। हरियाणा के कुछ जिलो जैसे हिसार, सिरसा फतेहाबाद, भिवानी में लगभग राजस्थान की बोली बागड़ी या मारवाड़ी का भी इस्तेमाल किया जाता है। रोहतक, झझर, फरीदाबाद, रेवाड़ी, इन जिलो में देसवाली हरियाणी का इस्तेमाल किया जाता है।

भारत में हरियाणवी भाषा क्षेत्र

इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में हरियाणवी भाषा समूह के कई रूप प्रचलित हैं जैसे बाँगर, राँघड़ी आदि।

उत्तरी हरियाणवी और दक्षिणी हरियाणवी के शब्द

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तुम कहाँ जा रहे हो को उत्तरी हरियाणवी को "तो कहाँ जैरया अ" कहते हैं तो बांगरू मे "तो कडे जावे सै" कहते हैं

हरियाणवी ध्वनिविज्ञान

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स्वानिकी

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हरीयाणी में अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ सहित दस स्वर हैं।

हरियाणवी में 32 व्यंजन हैं। हरियाणवी में व्यंजनक्रम देवनागरी लिपि में ध्वनिक्रम के अनुसार होता है। इसमें वर्गीय व्यंजन और अवर्गीय व्यंजन दोनों हैं।

वर्गीय व्यंजन
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क-वर्ग:- क्, ख्, ग्, घ्, ङ्

च-वर्ग:- च्, छ्, ज्, झ्, ञ्

ट-वर्ग:- ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्

त-वर्ग:- त्, थ्, द्, ध्, न्

प-वर्ग:- प्, फ्, ब्, भ्, म्

अवर्गीय व्यंजन
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य, र, ल, ळ, व, स, ह

सह-स्वानिकी

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हरियाणवी में बड़बड़ाहटी व्यंजन अपने से पहले व्यंजन यानी सघोष व्यंजन में बदल जाते हैं। जैसे:- "भित्तर" को "बित्तर" बोला जाता है, "झंडा" को "जंडा", "घर" को "गर" और "ढक्कण" को "डक्कण" एवं "धरम" को "दरम" आदि।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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