हरियाणवी भाषा
हरियाणवी उत्तर भारत में बोली जाने वाली भाषाओं का एक समूह है।, इसे भाषा नहीं कहा जा सकता...वैसे तो हरियाणवी में कई लहजे हैं साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में बोलियों की भिन्नता है। उत्तर हरियाणा में बोली जाने वाली हरियाणवी थोड़ा सरल होती है तथा हिन्दी भाषी व्यक्ति इसे थोड़ा बहुत समझ सकते हैं। दक्षिण हरियाणा में बोली जाने वाली बोली को ठेठ हरियाणवी कहा जाता है। यह कई बार उत्तर हरियाणा वालों को भी समझ में नहीं आती।
इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में हरियाणवी भाषा समूह के कई रूप प्रचलित हैं जैसे बाँगर, राँघड़ी आदि।
हरियाणवी ध्वनिविज्ञानसंपादित करें
स्वानिकीसंपादित करें
स्वरसंपादित करें
हरीयाणी में अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ सहित दस स्वर हैं।
व्यंजनसंपादित करें
हरियाणवी में 32 व्यंजन हैं। हरियाणवी में व्यंजनक्रम देवनागरी लिपि में ध्वनिक्रम के अनुसार होता है। इसमें वर्गीय व्यंजन और अवर्गीय व्यंजन दोनों मौजुद हैं।
वर्गीय व्यंजनसंपादित करें
क-वर्ग:- क्, ख्, ग्, घ्, ं
च-वर्ग:- च्, छ्, ज्, झ्, ं
ट-वर्ग:- ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्
त-वर्ग:- त्, थ्, द्, ध्, न्
प-वर्ग:- प्, फ्, ब्, भ्, म्
अवर्गीय व्यंजनसंपादित करें
य, र, ल, ऴ, व, स, ह
सह-स्वानिकीसंपादित करें
हरियाणवी में बड़बड़ाहटी व्यंजन अपने से पहले व्यंजन यानी सघोष व्यंजन में बदल जाते हैं। जैसे:- "भित्तर" को "बित्तर" बोला जाता है, "झंडा" को "जंडा", "घर" को "गर" और "ढक्कण" को "डक्कण" एवं "धरम" को "दरम" अादी।
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
बाहरी कड़ियाँसंपादित करें
- हरियाणवी कविता कोश
- हरियाणवी चौपाल - हरियाणवी का प्रथम चिट्ठा
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