हरीश चौधरी (जन्म 13 मई 1970) एक भारतीय राजनेता हैं जो पंजाब और चंडीगढ़ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस संगठन के प्रभारी एवं बाड़मेर जिले की बायतु विधानसभा क्षेत्र से राजस्थान विधान सभा के सदस्य हैं। 2018 से 2021 तक उन्होंने लगभग 3 वर्षों तक राजस्थान सरकार के राजस्व मंत्री के रूप में भी कार्य किया है। चौधरी ने 2009 में राजस्थान के बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता था। टीम राहुल गांधी के सदस्य हरीश 2014 से 2019 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव रहे।

हरीश चौधरी

एआईसीसी प्रभारी, पंजाब एवं चंडीगढ़
पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
22 अक्टूबर 2021
अध्यक्ष,भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सोनिया गांधी(2019-वर्तमान)
मुख्यमंत्री,पंजाब सरकार चरणजीत सिंह चन्नी(2021-2022)

भगवंत मान (2022-वर्तमान)

अध्यक्ष, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी नवजोत सिंह सिद्धू(2021-2022)

अमरिंदर सिंह राजा वडिंग(2022-वर्तमान)


राजस्व मंत्री, राजस्थान सरकार
पद बहाल
24 दिसंबर 2018 – 19 नवंबर 2021
मुख्यमंत्री,राजस्थान सरकार अशोक गहलोत
उपमुख्यमंत्री,राजस्थान सरकार सचिन पायलट (2018-2020)
अध्यक्ष, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी सचिन पायलट (2018-2020)

गोविंद सिंह डोटासरा (2020-वर्तमान)

पूर्वा धिकारी अमराराम चौधरी (2013-2018)
उत्तरा धिकारी रामलाल जाट(2021-वर्तमान)

पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
11 दिसम्बर 2018
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट(2018-2020)
पूर्वा धिकारी कैलाश चौधरी
चुनाव-क्षेत्र बायतू

राष्ट्रीय सचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस & एआईसीसी प्रभारी,‌‌‌‌‌‌‌पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी
कार्यकाल
2013 - 2019
अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सोनिया गांधी(1998-2017)

राहुल गांधी(2017-2019) सोनिया गांधी(2019-वर्तमान)

मुख्यमंत्री, पंजाब सरकार प्रकाश सिंह बादल(2007-2017)

कैप्टन अमरिंदर सिंह(2017-2022)


कार्यकाल
2009 - 2014
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
पूर्वा धिकारी मानवेन्द्र सिंह
उत्तरा धिकारी कर्नल सोनाराम चौधरी

छात्रसंघ अध्यक्ष, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय,जोधपुर(राजस्थान)
पद बहाल
1991–1992
छात्र संगठन National Student Union Of India
उत्तरा धिकारी गजेन्द्र सिंह शेखावत

जन्म 13 मई 1970 (1970-05-13) (आयु 53)
बाड़मेर, राजस्थान
राष्ट्रीयता भारतीय
राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
जीवन संगी हिमानी चौधरी
बच्चे 2


2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें बाड़मेर से उम्मीदवार बनाया लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह का टिकट काटकर कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए कर्नल सोनाराम चौधरी को टिकट दिया जिससे मुख्य लड़ाई भाजपा और भाजपा के बागी निर्दलीय उम्मीदवार जसवंत सिंह के बीच हो गई और हरीश चौधरी की सभी संभावनाएं खत्म हो गई। इन चुनावों में चौधरी को अपनी राजनीतिक साख बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा हालांकि उनकी जमानत बच गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसे 'मूंछ की लड़ाई' बताया था जिसे भाजपा उम्मीदवार कर्नल सोनाराम चौधरी जीतने में कामयाब हुए।

2014 की हार के बाद हरीश अपने सांगठनिक प्रदेश पंजाब में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए सक्रिय हो गए। 2017 में जब उत्तर प्रदेश समेत कई बड़े राज्यों में कांग्रेस ध्वस्त हो गई थी तब पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में दो तिहाई बहुमत के साथ कांग्रेस की वापसी में हरीश चौधरी का भी अहम योगदान रहा।

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में हरीश चौधरी ने अपने पैतृक गांव लाधाणियों की ढाणी की विधानसभा सीट बायतू से चुनाव लड़ा। यह चुनाव भी उनके लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं था। 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह इसमें भी त्रिकोणीय मुकाबला था जहां भाजपा के मौजूदा विधायक कैलाश चौधरी के अलावा जाट नेता हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रत्याशी उम्मेदाराम बेनीवाल ने भी ताल ठोकी थी। बहुजन समाज पार्टी ने यहां से राजपूत नेता किशोर सिंह कानोड़ को मैदान में उतारा। कई विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हरीश चौधरी ने 13 हजार से अधिक वोटों से उम्मेदाराम बेनीवाल को जबकि 18 हजार से अधिक वोटों से भाजपा उम्मीदवार कैलाश चौधरी को हराया।

राजस्थान में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल गांधी के विश्वस्त हरीश चौधरी को अपनी कैबिनेट में शामिल किया और राजस्व जैसा महत्वपूर्ण विभाग सौंपा। राजस्व मंत्री के तौर पर खातेदारी एवं भूमि सर्वेक्षण जैसे कार्यों में डिजिटलाइजेशन के प्रयासों के लिए उनकी सराहना की गई।


2021 में पंजाब में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरुद्ध कांग्रेस विधायकों की नाराजगी के बाद पंजाब में उभरे राजनीतिक संकट के समय कांग्रेस आला कमान ने हरीश चौधरी को पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा। हरीश चौधरी के पर्यवेक्षण में ही सुनील जाखड़ को हटाकर नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। मुख्यमंत्री कैप्टन को बिना सूचित किए पंजाब कांग्रेस विधायक दल की बैठक की गई जिसके पश्चात कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दे दिया और चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के नए मुख्यमंत्री बने।

कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व एवं चन्नी सरकार के बीच तालमेल बैठाने के लिए आलाकमान ने हरीश चौधरी को 22 अक्टूबर 2021 को पंजाब एवं चंडीगढ़ के प्रभारी के तौर पर भेजा। 19 नवंबर 2021 को 'एक व्यक्ति-एक पद' के अनुपालन में हरीश ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।

2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और 79 विधायकों वाली कांग्रेस 18 विधायकों तक सिमट गई।

2022 के जुलाई अगस्त में हरीश चौधरी ने 2018 में तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण के संबंध में जारी सर्कुलर के विरोध में व्यापक आंदोलन चलाया और गहलोत सरकार से मांग की कि इस सर्कुलर को वापस लिया जाए। जिसके परिणामत सरकार को सर्कुलर वापिस लेना पड़ा।

2023 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में हरीश चौधरी दूसरी बार त्रिकोणीय मुकाबले में विधानसभा क्षेत्र से जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस बार उनका मुकाबला राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रत्याशी उमेदाराम बेनीवाल से था। बीजेपी के बालाराम मूढ़ तीसरे पायदान पर रहे।

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