हलाहल हरिवंश राय बच्चन का एक काव्यग्रंथ है जो इसी नाम की एक लम्बी कविता के आधार पर नामित है।[1][2] इसकी रचना बच्चन ने १९४६ में की थी।

इन्हें भी देखें

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  1. कविवर बच्चन का साथ. भारतीय ज्ञानपीठ. २००९. पृ॰ १०१. अभिगमन तिथि 22 अगस्त 2015. |firstlast1= missing |lastlast1= in first1 (मदद)
  2. बच्चन, यात्री अग्निपथ का. डायमंड पाकेट बुक्स. २००५. पृ॰ ६७. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अगस्त 2015.