हवि
अपनी मर्यादा के मान सम्मान की रक्षा करिये ! न्याय पूर्वक और धर्म को ध्यान में रखकर वे सदा अपने आप को प्रभु की योजना का हिस्सा माने ! अपने इसी वरदान की यग्य द्वारा प्रभु से मदद की आशा है ! इसी आशा को आहुती के रूप में किए जाने वाले विश्वास को हवि कहा जा सकता है!