जल संवर्धन
मदा की अनुपस्थिति में फसलों को उगाने की प्रकिया जल संवर्धन कहलाती है। (PRASHANT SINGH)
जल संवर्धन या हाईड्रोपोनिक्स (Hydroponics) एक ऐसी तकनीक है, जिसमें फसलों को बिना खेत में लगाए केवल पानी और पोषक तत्वों से उगाया जाता है। इसे 'जलीय कृषि' भी कहते हैं।
पौधे उगाने की यह तकनीक पर्यावरण के लिए काफी सही होती है। इन पौधों के लिए कम पानी की जरूरत होती है, जिससे पानी की बचत होती है। कीटनाशकों के भी काफी कम प्रयोग की आवश्यकता होती है। मिट्टी में पैदा होने वाले पौधों तथा इस तकनीक से उगाए जाने वाले पौधों की पैदावार में काफी अंतर होता है। इस तकनीक से एक किलो मक्का से पांच से सात किलो चारा दस दिन में बनता है, इसमें जमीन भी नहीं लगती है।
जल संवर्धन द्वारा हरा चारा उगाना
संपादित करेंइस विधि से हरे चारे के उगाने के लिए सबसे पहले मक्के को 24 घंटे के लिए पानी में भिगोना होता है। उसके बाद एक ट्रे में उसे डालते हैं और जूट के बोरे से ढक देते हैं। तीन दिनों तक इसे ढके रखने पर उसमें अंकुरण हो जाता है। फिर उसे पांच ट्रे में बांट देते हैं। हर दो-तीन घंटे में पानी डालना होता है। ट्रे में छेद होता है, जितना पौधों को पानी की जरूरत होती है उतना पानी ही रुकता है बाकी पानी निकल जाता है।
यह तकनीक मेहनत भी बचाती है क्योंकि खेतों में काम करने के लिए काफी मेहनत की जरूरत पड़ती है, जबकि इस तकनीक में ज्यादा मेहनत की आवश्यकता नहीं रहती। ऐसे में फसलों की लागत कम रहती है तथा किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है। हाइड्रोपोनिक तकनीक से पौधों को ज्यादा आक्सीजन मिल जाती है और पौधे ज्यादा तेज गति से पोषक तत्वों को सोखते हैं। परंपरागत हरे चारे में प्रोटीन 10.7 फीसदी होती है जबकि हाइड्रोपोनिक्स हरे चारे में प्रोटीन 13.6 प्रतिशत होती है।
बाहरी कडियाँ
संपादित करें- जल-कृषि (गूगल पुस्तक ; लेखक-स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती, डॉ शिवगोपाल मिश्र आदि)
- हाईड्रोपोनिक्स हरा चारा उत्पादन तकनीक से बढ़ा मुनाफा
सन्दर्भ
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