हाइनरिख़ गुस्ताव अडोल्फ एंगलर
हाइनरिख़ गुस्ताव अडोल्फ एंगलर (Heinrich Gustav Adolf Engler ; 25 मार्च 1844 – 10 अक्टूबर 1930) जर्मन वनस्पति शास्त्रज्ञ थे। उन्होने पादप-वर्गिकी एवं पादप-भूगोल पर उल्लेखनीय कार्य किया।
परिचय
संपादित करेंब्रेसलॉ विश्वविद्यालय में इन्होंने शिक्षा पाई और यहीं से १८६६ ई. में इन्हें डाक्टर ऑव फ़िलासफ़ी की उपाधि मिली। चार वर्ष अध्यापन करने के पश्चात् ये म्यूनिख बोटेनिकल इंस्टिटयूट के सरंक्षक नियुक्त हुए। इसके पश्चात् छह वर्ष कील विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, पाँच वर्ष ब्रेसलॉ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर तथा औद्भिद उद्यान के संचालक और १८८९ से १९२१ ई. तक बर्लिन औद्भिद उद्यान के संचालक रहे।
अनुंसधान के लिए इन्होंने तीन बार अफ्रीका का तथा एक बार भारत तथा जावा का पर्यटन किया। इसी उद्देश्य से इन्होंने रूस, जापान तथा संयुक्त राज्य (अमरीका) होते हुए विश्वभ्रमण भी किया। इनकी विशेष देन वर्गीकरण (टैक्सोनॉमी) तथा औद्भिद भूतृत्त (फ़ाइटोजिऑग्रैफ़ी) के क्षेत्र में है, किंतु वनस्पति विज्ञान की अन्य शाखाओं में भी इनका कार्य महत्वपूर्ण रहा है। इनकी मृत्यु १९३० ई. में हुई।
स्वयं तथा अन्य लोगों के सहयोग से इन्होंने कई बहुमूल्य ग्रंथ लिखे हैं, जिनमें 'डी नाटीरलिख़ेन प्फ्लांट्सेन फ़ामिलीन' (प्राकृतिक पादपपरिवार), 'डास प्फ्लांट्सेनराइख़' (पादपराज्य) तथा 'सिलाबस डर प्फ्लांट्सेन फ़ामिलीन' (पादप-परिवार-सूची) प्रमुख हैं। इन्होंने 'बोटानिशे यारबुख़र' (वनस्पति-वैज्ञानिक शब्दकोश) नामक एक पत्रिका भी चलाई, जिसका संपादन वे सन् १८८० से लेकर मृत्यु पर्यत करते रहे।