निम्न रक्तचाप

(हाइपोटेंशन से अनुप्रेषित)

निम्न रक्तचाप (अंग्रेज़ी:हाइपोटेंशन) वह दाब है जिससे धमनियों और नसों में रक्त का प्रवाह कम होने के लक्षण या संकेत दिखाई देते हैं। जब रक्त का प्रवाह काफी कम होता हो तो मस्तिष्क, हृदय तथा गुर्दे जैसे महत्वपूर्ण इंद्रियों में ऑक्सीजन और पौष्टिक पदार्थ नहीं पहुंच पाते जिससे ये इंद्रियां सामान्य रूप से काम नहीं कर पाती और इससे यह स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती है। उच्च रक्तचाप के विपरीत, निम्न रक्तचाप की पहचान मूलतः लक्षण और संकेत से होती है, न कि विशिष्ट दाब संख्या से। किसी-किसी का रक्तचाप ९०/५० होता है लेकिन उसमें निम्न रक्त चाप के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं और इसलिए उन्हें निम्न रक्तचाप नहीं होता तथापि ऐसे व्यक्तियों में जिनका रक्तचाप उच्च है और उनका रक्तचाप यदि १००/६० तक गिर जाता है तो उनमें निम्न रक्तचाप के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

निम्न रक्तचाप
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
अन्य नाम हाइपोटेंशन
आईसीडी-१० I95.
आईसीडी- 458
रोग डाटाबेस 6539
मेडलाइन+ 007278
एमईएसएच D007022

यदि किसी को निम्न रक्तचाप के कारण चक्कर आता हो या मितली आती हो या खड़े होने पर बेहोश होकर गिर पड़ता हो तो उसे आर्थोस्टेटिक उच्च रक्तचाप कहते हैं। खड़े होने पर निम्न दाब के कारण होने वाले प्रभाव को सामान्य व्यक्ति शीघ्र ही काबू में कर लेता है। लेकिन जब पर्याप्त रक्तचाप के कारण चक्रीय धमनी में रक्त की आपूर्ति नहीं होती है तो व्यक्ति को सीने में दर्द हो सकता है या दिल का दौरा पड़ सकता है।

चक्रीय धमनी

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कोरोनरी आर्टेरी यानि वह धमनी जो हृदय के मांस पेशियों को रक्त की आपूर्ति करती है।

यह एक ऐसी स्थिति है जिससे जीवन को खतरा हो सकता है। निम्न रक्तचाप की स्थिति में गुर्दे, हृदय, फेफड़े तथा मस्तिष्क तेजी से खराब होने लगते हैं।

थकान की वजह से चक्कर आना और अचानक से धुंधला दिखना लो ब्लड प्रेशर यानी निम्न रक्त चाप का कारण हो सकता है। इसलिए, ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज करने की जगह सतर्क होना जरूरी है। यह एक चिकित्सकीय स्थिति है, जिसे मेडिकल भाषा में हाइपोटेंशन कहा जाता है। लो-ब्लड प्रेशर की समस्या के दौरान धमनियों और नसों में रक्त का प्रवाह कम होने लगता है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब रक्त का प्रवाह काफी कम हो जाता है, जिस कारण शरीर के महत्वपूर्ण अंगों खासकर मस्तिष्क तक ऑक्सीजन और पौष्टिक पदार्थ नहीं पहुंच पाते हैं [1]

नॉर्मल बीपी 90/60 mmHg से 120/80 mmHg के बीच रहता है, लेकिन निम्न रक्तचाप व लो-बीपी की पहचान इसके लक्षण और संकेत से ही होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कुछ लोगों का बीपी 90/60 mmHg से कम रहता है, लेकिन उसमें निम्न रक्तचाप के लक्षण नजर नहीं आते। हां, अगर किसी को निम्न रक्तचाप के कारण चक्कर आते हैं या कोई अन्य लक्षण नजर आता है, तो फिर सावधान होने की जरूरत है [2]

निम्न रक्तचाप की समस्या के पीछे कई कारण होते हैं। इनमें मुख्य रूप से मानसिक तनाव, असुरक्षा का भाव, निर्जलीकरण (Dehydration) जो रक्त की मात्रा को कम करता है, जरूरत से ज्यादा रक्तदान, आंतरिक रक्तस्राव (Internal bleeding), गहरी चोट जिससे रक्त का बहाव ज्यादा हो गया हो, गर्भावस्था, उच्च रक्तचाप की दवा, अवसाद (Depression) की दवा, हृदय संबंधी रोग, संक्रमण, एलर्जी, नर्वस सिस्टम में डिसऑर्डर जैसे - पार्किंसंस रोग आदि शामिल हैं [3]

निम्न रक्तचाप होने पर शरीर को कई तरह के संकेत मिलते हैं, साथ ही कई लक्षण भी देखने को मिलते हैं। इसमें बैठने या लेटने पर सिर का चकराना, कमजोरी महसूस होना, आंखों के आगे धुंधलापन, थकान, बेहोशी, चक्कर आना, सीने में दर्द, सांस लेने में समस्या, अनियमित हृदय गति, 101 फारेनहाइट से अधिक बुखार, सिरदर्द, गर्दन का अकड़ना, पीठ के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द, खांसी के साथ थूक का आना, दस्त, उल्टी व एलर्जी आदि शामिल हैं [4]

अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य से कुछ कम है और उसमें निम्न रक्तचाप के लक्षण भी नजर न आएं, तो उसे उपचार की आवश्यकता नहीं होती। वहीं, अगर निम्न रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति की बात करें, तो उसका उपचार कारण व लक्षणों पर निर्भर करता है। यहां कुछ सामान्य उपचार बता रहे हैं [5]:

  • जब बैठने और लेटने पर रक्तचाप में गिरावट के लक्षण नजर आएं, तो फिर पैरों को हृदय के स्तर से ऊपर उठाए रखना चाहिए।
  • वहीं, अगर सदमे के कारण गंभीर रूप से रक्तचाप में गिरावट आई है, तो यह मेडिकल इमरजेंसी है। ऐसे में निडल (IV) के जरिए रक्त दिया जा सकता है। रक्तचाप को सामान्य करने और हृदय को मजबूत करने के लिए दवाएं भी दी जा सकती है।
  • अगर एकदम से खड़े होने पर रक्तचाप कम होता है, तो डॉक्टर अधिक तरल पदार्थ लेने की सलाह दे सकते हैं। वहीं, अगर किसी दवा की वजह से ऐसा हो रहा है, तो डॉक्टर दवाई को बदल सकते हैं। इसके अलावा, कंप्रेस स्टोकिंग को पहना जा सकता है। इससे पैरों में रक्त के जमा नहीं होता।

निम्न रक्तचाप व लो-ब्लड प्रेशर से बचने के लिए कुछ टिप्स को अपनाया जा सकता है। जैसे कि पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन, पैरों को क्रॉस करके सीधे बैठना, जांघ तक को कवर करने वाली कंप्रेशन स्टोकिंग पहनना, सिर को थोड़ा ऊंचा करके सोना [6]। साथ ही अपने आहार में नमक की मात्रा को सामान्य रखने, फलों का सेवन करने, शराब व धूम्रपान से दूरी बनाए रखने और नियमित रूप से व्यायाम व योग करने की सलाह भी डॉक्टरों द्वारा दी जाती है।

  1. "निम्न रक्तचाप". मूल से 30 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2019.
  2. "लो बीपी". मूल से 13 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2019.
  3. "लो बीपी के कारण". मूल से 30 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2019.
  4. लो बीपी के लक्षण
  5. निम्न रक्तचाप का इलाज
  6. "निम्न रक्तचाप से बचाव" (PDF). मूल से 11 अगस्त 2019 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2019.