हाफ़िज़ (क़ुरआन)

कोई व्यक्त्ति पूरी तरह से कुरान को याद किया हे

हाफ़िज़-ए-क़ुरआन ( अरबी: [حافظة] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)नस्तालीक़: حافظِ قرآن‎, अरबी: [حُفَّاظ] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)‎, बहुवचन हुफ़ाज़ ; स्त्रीलिंग हाफ़िज़ा ), शाब्दिक अर्थ "हिफ़ाज़त करने वाला", एक शब्द है जो आधुनिक मुसलमानों के द्वारा ऐसे शख़्स के लिए प्रयुक्त है जिनको संपूर्ण क़ुरआन मुँह-ज़ुबानी याद हों। हाफ़िज़ा इसका स्त्रीलिंग रूप है।[1]

मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब आलमगीर हाफ़िज़-ए-क़ुरआन थे

हज़रत मुहम्मद 6वीं सदी में अरबिया में रहते थे जबकि बहुत कम लोग पढ़े-लिखे हुए थे। वह अपने इतिहास, वंशावली और काव्य को याददाश्त से ही सहेजते थे। परम्परा के अनुसार जब मुहम्मद को आयतों की आमद तो उनके श्रद्धालु ने इनको याद किया और पीढ़ी से पीढ़ी तक जिन्होंने आगे चलकर, क़ुरआन के इकट्ठे लिखित स्वरूप को लिखा।

  1. Ludwig W. Adamec (2009), Historical Dictionary of Islam, pp.113-114. Scarecrow Press. ISBN 0810861615.