हाफिज़ मुहम्मद सईद

पाकिस्तानी आतंकवादी व जिहादी समूह जमात-उद-दावा का पूर्व प्रमुख
(हाफिज सईद से अनुप्रेषित)
यह 14 फ़रवरी 2023 को देखा गया स्थिर अवतरण है।

हाफ़िज़ मोहम्मद सईद (उर्दू: حافِظ مُحَمّد سَعِید ; देवनागरीकृत : हाफ़िज़ मोहम्मद सईद ) (जन्म: 10 मार्च 1950) आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक और वर्तमान में जमात-उद-दावा से सम्बन्धित है। यह भारत की सर्वाधिक वांछित अपराधियों की सूची में शामिल है। मुम्बई के 26/11 आक्रमण में इसके हाथ होने की बात सामने आयी थी जिसमें छह अमेरिकी नागरिक समेत 193 लोग मारे गये थे। उस आक्रमण के बाद भारत ने पाकिस्तान से उसे सौंपने को कहा था।

हाफ़िज़ मुहम्मद सईद (हिन्दी)
उर्दू: حافِظ مُحَمّد سَعِید
निजी जानकारियां
जन्म सरगोधा, पंजाब, पाकिस्तान
राष्ट्रीयता पाकिस्तानी
काम जमात-उद-दावा,
लश्कर-ए-तैयबा का नेता
धर्म इस्लाम
मज़हब सुन्नी इस्लाम
आंदोलन अहल-ए-हदीस

अमेरिकी सरकार की ‘रिवाडर्स फ़ॉर जस्टिस’ कार्यक्रम की वेबसाइट पर बताया गया कि हाफिज़ सईद प्रतिबन्धित संगठन जमात-उद-दावा का प्रमुख और चरमपन्थी गुट लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक है।[1]

अमेरिका द्वारा जारी, दुनिया में 'आंतकवाद के लिये उत्तरदायी' लोगों की सूची में हाफ़िज़ सईद का भी नाम है। 2012 से इसके ऊपर अमेरिका ने 10 अरब अमेरिकी डॉलर की धनराशि का इनाम घोषित कर रखा है। [2]

पृष्ठभूमि

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हाफ़िज़ सईद का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के सरगोधा में हुआ था। सईद अरबी और इंजीनियरिंग का पूर्व प्राध्यापक रहा है। यह जमात-उद-दावा का संस्थापक है। यह एक कथित चरमपन्थी इस्लामी संगठन है जिसका मकसद भारत के कुछ हिस्सों और पाकिस्तान में इस्लामी शासन स्थापित करना है। हाफिज ने यह संगठन तब बनाया था जब पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था।

11 सितम्बर 2001 में अमेरिका पर हुए हमलों के बाद अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा को विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया था। वर्ष 2002 में पाकिस्तानी सरकार ने भी लश्कर पर प्रतिबन्ध लगा दिया। उसके बाद हाफिज सईद ने लश्कर-ए-तैयबा का नया नाम जमात-उद-दावा रखा, हालाँकि हाफ़िज़ सईद इस बात से इन्कार करता है कि जमात-उद-दावा का लश्कर से कोई सम्बन्ध है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुम्बई आतंकी हमलों के बाद दिसम्बर 2008 में जमात-उत-दावा को आतंकी संगठन घोषित किया था। मुम्बई हमलों के बाद सईद पर अन्तरराष्ट्रीय दबाव को देखते हुए पाकिस्तान ने छह महीने से कम समय तक नजरबन्द रखा था। लाहौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद उसे 2009 में रिहा कर दिया गया था।

हाफ़िज़ सईद ने अफगानिस्तान में जिहाद का प्रचार करने और लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए 1985 में जमात-उद-दावा-वल-इरशाद की स्थापना की और लश्कर-ए-तैयबा उसकी शाखा बनी। 1990 के बाद जब सोवियत सैनिक अफ़गानिस्तान से निकल गए तो हाफ़िज़ सईद ने अपने मिशन को कश्मीर की तरफ मोड़ दिया।

भारत सरकार 2003, 2005 और 2008 में हुए आतंकी हमलों के लिए लश्कर-ए-तैयबा को जिम्मेदारी मानती है। भारतीय संसद पर हमले की कड़ी भी इसी गुट से जुड़ती है। मुम्बई आतंकी हमलों में उसकी भूमिका को लेकर भारत ने सईद के खिलाफ इण्टरपोल रेड कार्नर नोटिस जारी कर रखा है, वहीं अमेरिका ने इसे विशेष निगरानी सूची में रखा है।[2]

इन्हें भी देखें

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