हास्य
Sangeet
हास्य 9 रसों में से एक रस है जिसका अर्थ सुखांतक अथवा कामदी होता है। रस का अर्थ एक भाव/आस्वाद से होता है और रस-सिद्धान्त में प्राचीन भारतीय कला जिसमें रंगमंच, संगीत, नृत्य, काव्य और शिल्पकला भी शामिल है।
हास्य रस का उदाहरणसंपादित करें
- बन्दर ने कहा बंदरिया से चलो नहाने चले गंगा।
बच्चो को छोड़ेंगे घर पे वही करेंगे हुडदंगा॥
- शीश पर गंगा हंसे,
लट में भुजंगा हंसे। हास ही के दंगा भयो, नंगा के विवाह में।।