हिन्दी भवन, नई दिल्ली
नई दिल्ली स्थित हिन्दी भवन भारत की विभिन्न भाषाओं में सौमनस्य स्थापित कर उसकी राष्ट्रीय, भावात्मक और सांस्कृतिक एकता को अक्षुण्ण रखने के लिए कृतसंकल्प है। हिन्दी भवन का निर्माण श्री पुरुषोत्तम हिन्दी भवन न्यास समिति, नई दिल्ली के तत्वावधान में हुआ। राजर्षि श्री पुरुषोत्तमदास टंडन की स्मृति में उक्त न्यास का पंजीकरण 23 मई 1962 को कराया गया। यह भवन राष्ट्र और समाज में की गई टंडनजी की साधना का स्मारक है। इस भवन के संस्थापक अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री और संस्थापक मंत्री पंडित गोपालप्रसाद व्यास थे। एक सुगठित न्यासी मंडल इसकी गतिविधियों का संचालन करता है, जिसमें भारत के विशिष्ट हिन्दीप्रेमी, संभ्रांत नागरिक, प्राध्यापक, साहित्यकार, पत्रकार, राज और समाजसेवी महानुभाव सम्मिलित हैं।
उद्देश्य
संपादित करेंहिन्दी भवन के मुख्य उददेश्य हैं:-
- हिन्दी भाषा एवं देवनागरी लिपि का प्रचार करना।
- हिन्दी भाषा के अनुसंधान-कार्य में सहयोग करना।
- पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन की व्यवस्था करना।
- पुस्तकालय, वाचनालय तथा संदर्भ एवं शोधकक्ष की स्थापना और उनका प्रबंध करना।
- कंप्यूटरीकृत सूचना केन्द्र तथा संग्रहालय की स्थापना करना।
- हस्तलिखित पांडुलिपियों, ग्रंथों एवं चित्रों को एकत्र करना और सुरक्षित रखना।
- हिन्दी भाषा और साहित्य से संबंधित परिचर्चाएं, संगोष्ठियां, व्याख्यान एवं समारोह आयोजित करना।
- दिवंगत साहित्यकारों की जन्मशतियां मनाना एवं उनके चित्र हिन्दी भवन में स्थापित करना।
- देश की अन्य प्रादेशिक भाषाओं की प्रगति में सहयोग देना।
- विषम परिस्थिति में साहित्यकारों को सार्थक सहयोग देना।