हिन्दी विज्ञान साहित्य परिषद
हिन्दी विज्ञान साहित्य परिषद मुम्बई का गठन भाभा परमाणु अनुसन्धान केन्द्र एवं टाटा मूलभूत अनुसन्धान संस्थान में कार्यरत कुछ वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों के सामूहिक प्रयास से पूर्व सन् 1968 में हुआ था। इसका गठन राष्ट्रभाषा प्रेम, जनसामान्य तक वैज्ञानिक साहित्य को पहुंचाने, वैज्ञानिक साहित्य की रचना तथा प्रसार के काम को सुसंगठित रूप में चलाने के उद्देश्य से हुआ था।
‘परिषद' की गतिविधियों में सबसे मुख्य एवं स्थाई गतिविधि त्रैमासिक पत्रिका 'वैज्ञानिक' का अनवरत प्रकाशन रही है। यही कारण है कि परिषद के विकास का इतिहास ‘वैज्ञानिक' प्रकाशन से घनिष्ठ रूप से जुड़ा है । इसके अलावा, शब्द निर्माण, अनुवाद कार्य, पुस्तक प्रकाशन, विज्ञान वार्ताएं, लेख प्रतियोगिता का आयोजन,विज्ञान गोष्ठियां कई ऐसे कार्य रहे हैं जिन्होंने परिषद के लिए सम्मान अर्जित किये हैं।
समाज एवं राष्ट्र के उत्थान के लिए यह आवश्यक है कि समाज के प्रबुद्ध वर्ग, चिन्तक, दार्शनिक एवं वैज्ञानिक समुदाय और आम जनता के बीच विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम एक हो। इस सामाजिक चेतना के परिप्रेक्ष्य में वैज्ञानिकों का उत्तरदायित्व और अधिक बढ़ जाता है। उनसे यह आशा की जाती है कि वे ज्ञान अर्जित कर आम व्यक्ति तक पहुंचायें जिससे उन्हें अन्धविश्वासों और रुढ़िगत मान्यताओं से मुक्ति मिल सके। इसके लिए ज्ञानार्जन के साथ उसका संचार भी महत्वपूर्ण है और यह एक सरल आम भाषा में होना आवश्यक है।
महावीर प्रसाद द्विवेदी ने भी कहा है कि "ज्ञान, विज्ञान, धर्म एवं राजनीति की भाषा सदैव लोकभाषा ही होनी चाहिये।" इसी मूल विचारधारा को लेकर विज्ञान और तकनीकी के प्रमुख केन्द्र भाभा परमाणु अनुसन्धान केन्द्र में सन 1968 में हिन्दी विज्ञान साहित्य परिषद की स्थापना की गई। परिषद् का मुख्य उद्देश्य हिन्दी में वैज्ञानिक साहित्य की रचना एवं प्रसार रहा और इसे पूरा करने के लिए परिषद ने पुस्तक प्रकाशन, विज्ञान वार्ताएं, शब्द संग्रह निर्माण, अनुवाद कार्य, विज्ञान संगोष्ठियां, लेख प्रतियोगिताओं जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इन सभी गतिविधियों का परिणाम है कि आज यह परिषद देश की अग्रणीय संस्थाओं में से एक है।
परिषद की गतिविधियों में सबसे मुख्य एवं स्थाई गतिविधि त्रैमासिक पत्रिका 'वैज्ञानिक' अनवरत प्रकाशन रही है। वैज्ञानिक का परिचय अंक 1969 में प्रकाशित हुआ था। वैज्ञानिक चिन्तन हिन्दी में प्रारम्भ हो, एक उच्च स्तरीय लेखों की पत्रिका पाठकों को मिले तथा विज्ञान में रुचि रखने वाले लेखकों को एक मंच मिले, इत्यादि विचार 'वैज्ञानिक प्रकाशन में के प्रेरणा स्रोत रहे हैं। वैज्ञानिक में प्रकाशित लेख विज्ञान की सभी शाखाओं से लिए जाते हैं जिनमें विशेषज्ञ अपने नवीनतम शोध की जानकारी सभी पाठकों तक पहुंचाते हैं। विषय विशेष पर नवीनतम एवं पूर्ण जानकारी देने के उद्देश्य से वैज्ञानिकों के विशेषांको को प्रकाशित करने की शुरुआत सन् 1972 में की गई। पिछले वर्षों में विभिन्न विषयों पर विशेषांक निकाले जा चुके हैं। जिनमें कृषि विज्ञान, खगोल भौतिकी, शरीर विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, ध्रुव रिएक्टर, रेडियो-रसायन, सुरक्षा, पर्यावरण प्रदूषण, भारतीय विज्ञान की भावी दिशाएं, लेसर जैसे उपयोगी तथा आधुनिक विषय शामिल है।
वर्तमान में परिषद के चुने हुए सचिव एवं वैज्ञानिक पत्रिका के संपादक डॉ. कुलवन्त सिंह हैं।
उद्देश्य
संपादित करें1. हिन्दी में वैज्ञानिक साहित्य का लेखन,प्रचारएवं प्रसार
2. वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावलियों का सृजन एवं प्रकाशन
3. महत्वपूर्ण वैज्ञानिक साहित्य को अर्जित कर उसका हिंदी अनुवाद
4. समान उद्देश्य एवं विचारधारा वाली अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य करना
5. केंद्र एवं राज्य सरकारों को हिंदी में वैज्ञानिक पुस्तकें प्रकाशित करने में सहायता प्रदान करना
6. विभिन्न वैज्ञानिक एवं तकनीकी विषयों पर वार्ता, संगोष्ठी का आयोजन
7. विभिन्न शैक्षणिक पुस्तकालयों को हिंदी में विज्ञान की पुस्तकें प्रदान किना
8. वैज्ञानिक पत्रिका / वैज्ञानिक साहित्य का संवर्धन एवं प्रकाशन करना
9. परिषद की क्रियाकलापों की जानकारी हेतु सामयिक पत्र / पत्रिका का प्रकाशन
कार्यालय
संपादित करेंपंजीकृत पता : हिन्दी-विज्ञान साहित्य परिषद, सूचना प्रभाग, सेंट्रल कॉम्प्लेक्स, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई - 400 085
पत्राचार :सचिव, श्री सत्य प्रभात प्रभाकर,हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद,16C,कंचनजंगा, अनुशक्तिनगर, मुंबई
सन्दर्भ
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करें- विज्ञान संचार
- वैज्ञानिक (पत्रिका)
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- वैज्ञानिक पत्रिका
- हिन्दी विज्ञान साहित्य परिषद का जालघर
- वैज्ञानिक का संगोष्ठी विशेषांक (नाभिकीय ऊर्जा एवं पदार्थ, जनवरी १९९२)
- वैज्ञानिक अक्टूबर-दिसंबर 2021अंक
- वैज्ञानिक जुलाई-सितंबर 2021अंक
- वैज्ञानिक अप्रैल-जून 2021अंक