हिन्दी शिक्षा संघ दक्षिण अफ़्रीका
हिन्दी शिक्षा संघ दक्षिण अफ़्रीका दक्षिण अफ्रीका की एक हिन्दीसेवी संस्था है। इसकी स्थापना २५ अप्रैल सन् १९४८ में वहाँ की आर्य प्रतिनिधि सभा तथा सनातन धर्म सभा के सम्मिलित सभा में की गयी थी। पंडित नरदेव विद्यालंकार इसके प्रथम अध्यक्ष थे।
१७ अक्टूबर १९४८ को इस नयी संस्था द्वारा हिंदी सीखने के लिए रूचि पैदा करने के लिए हिंदी साहित्य सम्मेलन की स्थापना की गई। इस कार्यक्रम में ३५ पाठशालाओं ने भाग लिया। जब उनके ध्यान में यह आया कि बहुत से हिंदी अध्यापक पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं है तो उन्होंने अध्यापकों के लिए हिंदी प्रशिक्षण की कक्षाएं शुरू की और पंडित जी ने इसके संयोजन में प्रमुख भूमिका अदा की। एक गैर-सरकारी संस्था के रूप में संघ ने इसे चुनौती के रूप में लिया और हिंदी अध्ध्यन और अध्यापन का काम संगठित रूप से प्रारम्भ किया।
उद्धेश्य
संपादित करेंहिंदी शिक्षा संघ को स्थापित करने का प्रमुख उद्धेश्य हिंदी शिक्षण का समन्वय करना था और हिंदी के प्रचार में लगी संस्थाओं को सहयोग व मार्गदर्शन प्रदान करना था। संघ के मुख्य उद्धेश्य जो इसके संविधान में दिए गए हैं, तीन प्रकार के हैं:-
- हिंदी भाषा के सभी पक्षों को सीखने के लिए प्रोत्साहित करना, (विशेष रूप से इसके लिखित और मौखिक पक्ष को)
- भारतीय संस्कृति विशेष रूप से उत्तर भारतीय संगीत, नृत्य, नाटक और कला के विभिन्न पक्षों की समृद्ध संस्कृति के बारे में जागरूकता फैलाना और उसे प्रचारित और प्रसारित करना,
- हिंदी साहित्य और हिंदी धार्मिक ग्रंथों के अकादमिक अध्ययन को प्रोत्साहित करना
हिन्दी शिक्षा संघ, हिन्दी खबर नामक एक मासिक पत्रिका भी प्रकाशिक करता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- हिन्दी शिक्षा संघ का जालघर
- पंडित नरदेव विद्यालंकार- हिंदी शिक्षा संघ और दक्षिण अफ्रीका में हिंदी (प्रवासी दुनिया)
- दक्षिण अफ्रीका में हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति -प्रो. राम भजन सीता राम (प्रवासी दुनिया)