हिन्दू घोषी

अहीर/यादवों की एक उपजाति

हिन्दू घोषी हिन्दू अहीर जाति का एक समुदाय है, जो कि हिन्दू यादव समुदाय का पर्याप्त उपमान माना जाता है।[1][2]

घोषी
धर्म हिन्दू
भाषा हिन्दी, खड़ीबोली, बृजभाषा
वासित राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली तथा निकटवर्ती इलाके

शब्द शास्त्र संपादित करें

घोष शब्द का अर्थ "पुकारना "[3] पशु शाला ,[4][5] या साहित्यिक दृष्टि से "अभीरों (अहीरों) का उपनिवेश" होता है।.[6]

घोष अर्थात "कोलाहल करना", वेद-पुराणों के अनुसार, वैदिक काल में अहीरों की प्रथक बस्ती या अहीरों के गाँव को घोष कहा जाता था। आज भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे अहीरों के लिए घोषी शब्द का प्रयोग किया जाता है।[7]

गोपाल, दुग्ध-व्यवसायी, या घोष इत्यादि "आभीर" शब्द के शाब्दिक अर्थ है जिसको प्राकृत भाषा मे अहीर कहा जाता है।[8]

रोज़, इब्बट्सन, डेंजिल, मकलागन, एडवर्ड डगलस (सी.1911) की व्याख्या के अनुसार घोषी शब्द संयुक्त रूप से मुस्लिम व हिन्दू धर्मो के लोगों के लिए प्रयुक्त होता है। परंतु व्यावहारिक रूप से किसी भी धर्म या जाति के ग्वाले को घोषी कहा जाता है। समान्यतः ये कहा जा सकता है कि कोई भी मुसलमान जो ग्वाला बन गया उसे घोसी कहा जाने लगा और कालांतर मे यह नाम किसी भी अहीर या ग्वाले के लिए प्रयुक्त होने लगा, इसीलिए, हिन्दू अहीरों व उनके मुस्लिम प्रतिद्वंदीयों दोनों को संयुक्त रूप से घोसी कहा जाता है।[9]

प्राचीन भारतीय इतिहास मे "आभीर घोष प्रद्योत राजवंश का उल्लेख मिलता है जिसे हैहय वंशी वेताल ताल्जंघ वितिहोत्र द्वारा स्थापित किया गया था।[10] भारतीय इतिहासकार जे॰एन॰एस॰ यादव ने घोष (घोसी) व आभीर (अहीर) शब्दों द्वारा परिभाषित लोगो के मध्य एक निश्चित संबंध की पुष्टि की है जो कि वह लोग हैं जो चरवाहा युग मे पशुपालक थे व कालांतर मे कृषक बन गए।[11] प्रोफेसर भगवान सिंह सूर्यवंशी के अनुसार, संस्कृत, प्राकृत और पाली साहित्य में आभीरों के लिए अलग-अलग पदवी का प्रयोग किया गया है। प्राचीन लेखकों की यह प्रथा अभी भी बंद नहीं हुई है। आधुनिक अहीरों के समाजशास्त्रीय अध्ययन से पता चलता है कि लोग उन्हें अलग-अलग नामों से जानते हैं, जिनमें अहीर, ग्वाला और घोसी सबसे प्रमुख हैं। इन आधुनिक अहीरों के अपने प्राचीन समकक्ष हैं जैसे। आभीर, गोप या गोपाल और घोष। घोष का आधुनिक समकक्ष घोसी है। व्युत्पत्ति के अनुसार, घोष शब्द, संस्कृत मूल घुष से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'चिल्लाना', एक चरवाहे का पेशा, क्योंकि वह मवेशियों को चराते समय चिल्लाता है।[12]

वितरण संपादित करें

घोसी अहीर मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश व बिहार राज्यों मे पाये जाते हैं। बिहार व उत्तर प्रदेश में ग्वाला, गोपाल, घोषी, मण्डल, ढढोर, धूरिया, गवली, कमरिया, अहीर अथवा आभीर सभी स्वयं को यादव कहते हैं।[13] उत्तर-पश्चिम प्रांत के मिर्जापुर जिले में अहीरोरा परगना व प्राचीन अहिरवाड़ा इत्यादि के नाम अहीर जमींदारों के नाम पर रखे गए हैं। "आईने-अकबरी" में भी नगीना व सिरधाना जिलों के अहीर जमींदारों का जिक्र आता है।[14]

समान्यतः, गोप, घोसी, ग्वाल, जादव, पोहियो, दौवा सम्मिलित रूप से आभीर वंशी अहीरों के समूह है, जिन्हें भगवान कृष्ण से संबन्धित होने के कारण सादर पहचान मिलती है तथा कुछ विद्वान इन्हे प्राचीन क्षत्रियों की एक शाखा बताते है।[15]

जन गणित संपादित करें

घोषियों के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि उत्तर पश्चिमी इलाकों मे सभी घोषी मुस्लिम हैं परंतु मध्य भारत में अधिकांश घोषी हिन्दू हैं जो स्वयं को घोषी ठाकुर कहते हैं।अन्य जतियों के लोग भी उन्हे प्रायः ठाकुर कहकर ही संबोधित करते हैं।[16] परंतु सागर व दमोह इलाकों में क्षत्रित्व की आकांक्षा इतनी प्रबल है कि यदि किसी से उसकी जाति पूछनी है तो व्यावहारिक प्रश्न इस तरह किया जाता है कि -"आप कौन से ठाकुर है?"[16]

"मैनपुरी सेट्टल्मेंट रिपोर्ट" के अनुसार- उत्तर प्रदेश के मैनपुरी इलाके मे अहीर एक प्रभुत्व-सम्पन्न जाति है, घोषियों सहित उनकी आबादी इलाके की कुल आबादी का 16.8 प्रतिशत बताई गयी है,[17] तथा यहाँ वर्तमान में भी घोषी वर्ग अहीरों के अन्य वर्गों से ज्यादा संख्या मे है।[18]

वर्गीकरण संपादित करें

उत्तर भारत मे घोषी अहीर अनेकों उप - कुलों या कुल-गोत्रों मे विभाजित हैं, जैसे कि- बाबरिया या बरबाइया, फाटक, जिवारिया या जरवारिया, फटकालू या फटकियाँ, कराइया, शोनदेले, राऊत, लहुगाया, अंगूरी, भृगुदे या भृगुदेव, गाइन्दुया या गुदुया, निगाना तथा धूमर या धुंर इत्यादि।[19][20][21]

मध्य भारत में घोषियों कि दो उप जातियाँ हैं- हवेलिया, जो कि मैदानी भाग मे पाये जाते है तथा बिरछेलिया जो कि जंगली क्षेत्रों मे पाये जाते हैं। दमोह मे घोषी मुख्यतः बैलगाड़ी चालक व कृषक हैं।[22][23]

भारतीय मानव विज्ञान शास्त्री के॰एस॰ सिंह के अनुसार-

ग्वाल (ग्वाला), ढढ़ोर, यादव, यदुवंशी, किशनौत, मजरौठ, गौरिया इत्यादि जिन्हें सम्मिलित रूप से ज्यादा से ज्यादा अहीरों कि उपजाति कहा जा सकता है। यह कृष्ण से संबन्धित पौराणिक विरासत व सम्मान से युक्त ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का प्राचीन जाति समुदाय है, जो कि मथुरा - वृन्दावन मूल से उत्पन्न व प्रसारित है। ये लोग हिन्दी देवनागरी लिपि मे लिखते हैं, हिन्दी बोलते हैं व जातिगत अंतरगामी व कुल-गोत्र बहिर्गामी विवाह पद्धति का अनुसरण करते है।[24]

खानदेश मे अहीरों के चार उप-समुदाय हैं- ग्वालवंशी, भार्वतिया,ढिडांवार , घोसी।[25]

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

संदर्भ सूत्र संपादित करें

  1. Yadav, Kripal Chandra; Singh, Rajbir (1994). India's Unequal Citizens: A Study of Other Backward Classes (अंग्रेज़ी में). Manohar. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7304-069-6.
  2. Singh, Rama Yagya (1978). The Malwa Region: Rural Habitat System, Structure, and Change (अंग्रेज़ी में). International Geographical Union, Working Group, Transformation of Rural Habitat in Developing Countries and International Centre for Rural Habitat Studies.
  3. "The Tribes and Castes of the Central Provinces of India, Volume III of IV". google.co.in. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अक्तूबर 2015.
  4. John Collinson Nesfield (1885). Brief View of the Caste System of the North-Western Provinces and Oudh: Together with an Examination of the Names and Figures Shown in the Census Report, 1882, Being an Attempt to Classify on a Functional Basis All the Main Castes of the United Provinces, and to Explain Their Gradations of Rank. North-Western Provinces and Oudh Government Press. पृ॰ 11. मूल से 18 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अक्तूबर 2015.
  5. Edward Balfour (1871). Cyclopaedia of India and of Eastern and Southern Asia, Commercial, Industrial and Scientific: Products of the Mineral, Vegetable and Animal Kingdoms, Useful Arts and Manufactures. Ed. by Edward Balfour, Volume 2. [Dr.:] Scottish and Adelphi Press, Original from the Bavarian State Library. पृ॰ 314.
  6. J. L. Brockington (1998). The Sanskrit Epics. BRILL. पृ॰ 265. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789004102606. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अक्तूबर 2015.
  7. Devī Prasāda Miśra. Jaina purāṇoṃ kā sāṃskr̥tika adhyayana.
  8. Sarat Chandra Roy (Rai Bahadur) (1974). Man in India, Volumes 54-55. A.K. Bose. पृ॰ 36. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अक्तूबर 2015.
  9. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Ibbetson नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  10. Chandra Chakraberty (1957). Literary History of Ancient India in Relation to Its Racial and Linguistic Affiliations. Vijaya Krishna Bros.,Original from the University of Michigan. पृ॰ 41.
  11. J. N. Singh Yadav (2001). Yadavas of South India. Yadava Publications Original from the University of Michigan. पपृ॰ 6–8. मूल से 18 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अक्तूबर 2015.The term Abhira, Gopa, Gopala, Gwala,Ghosa, Ghosi, Gvalia,Gvali, etc. are the professional appellations from those Yadavas who tended cows in pastoral age and adopted agriculture later on.
  12. SurvaVanshi, Bhagwansingh (1962). Abhiras their history and culture.
  13. Akhtar Majeed, Jamia Hamdard (नई दिल्ली, India). Centre for Federal Studies (2000). Coalition politics and power sharing. Manak Publications Pvt. Ltd., Original from the University of Michigan. पृ॰ 52. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788186562963. मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अक्तूबर 2015.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  14. Arvind Dass, Sita Deulkar (2002). Caste system: a holistic view. Dominant Publishers and Distributors, Original from the University of Michigan. पृ॰ 157. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788178880297. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अक्तूबर 2015.
  15. Jeyaseela Stephen, S (2006-10-01). "Literature, Caste and Society: The Masks and Veils". आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788178354484. Cite journal requires |journal= (मदद)
  16. The Tribes and Castes of the Central Provinces of India. Forgotten Books. पपृ॰ 33–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4400-4893-7. मूल से 27 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 October 2012.
  17. Allahabad (1875). "Setlement of the Distrst": 23. Cite journal requires |journal= (मदद)
  18. "UP Polls: Congress trying to get caste calculus right; eyeing Kurmi and Muslim votes - Economic Times". articles.economictimes.indiatimes.com. मूल से 6 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 October 2014.
  19. United Provinces of Agra and Oudh (India) (1911). District Gazetteers of the United Provinces of Agra and Oudh, Volume 12. the University of California. पृ॰ 72.
  20. Sherring, Matthew Atmore (1872). "Hindu tribes and castes": 333–336. Cite journal requires |journal= (मदद)
  21. Allahabad (1875). "Setlement of the Distrst": 23. Cite journal requires |journal= (मदद)
  22. books.google.co.in/books?isbn=1440048932
  23. "Full text of "The tribes and castes of the Central Provinces of India"". archive.org. पृ॰ 4506. मूल से 6 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 October 2014.
  24. Singh, K. S; India, Anthropological Survey of (2005). "Uttar Pradesh": 526. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788173041143. Cite journal requires |journal= (मदद)
  25. Bombay (India : State) (1880). Gazetteer of the Bombay Presidency ..., Volume 12. Government Central Press,. पपृ॰ 78, 79.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link)